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पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/१९

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॥ श्री ॥
जहांगीर बादशाहके तख्त पर बैठनेसे पहिलेका हाल

जबकि वह शाहजादा सलीम, सुलतान सलीम

और बादशाह सलीम कहलाता था।

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जहांगीर बादशाह १७ रबीउलअव्वल सन ९७७ हिजरी बुधवार (आखिन बदी ५ संवत् १६२६) को सीकरीमें शेख सलीम चिश्तीके घर पैदा हुआ था। उसका नाम इसी प्रसंगसे शाह सलीम रखा गया था। अकबर बादशाहने आगरेमें यह मङ्गलसमाचार सुनकर बहुतसा धन लुटाया और जितने कैदी किले और शहरमें थे उन सबको छोड़ दिया। फिर सीकरीमें शहर बसाकर फतहपुर नाम रखा और उसे राजधानी बनाकर आप भी वहां रहने लगा। .

जब शाह सलीमको उमर ४ वर्ष ९ महीनेको हुई तो बादशाह ने २४ रज्जब सन ९८१ (अगहन बदी ११ संवत १६३०) को उसे पढ़ने बिठाया। उसका अतालीक पहिले कुतुबमोहम्मदखां अंगा और फिर मिरजाखां खानखानां रहा।

सन ९८५ में बादशाहने उसको १० हजारी, १० हजार सवार का मनसब दिया जिससे बड़ा उस वक्त कोई पद नहीं था। जब उसको उमर १५ वर्षको हुई तो ९८३ (१६४२) में पहिला व्याह राजा भगवन्तदासको बेटीसे दूसरा सन ९९४ (संवत १६४३) में उदयसिंहको लड़कीसे, तीसरा जेनखां कोकेके चचा खाजाहसनको बेटीसे और चौथा केशव मारूको लड़कीसे हुआ।

पहिली बेगमसे पहिले सुलतान निसार बेगम और फिर २४ अमरदाद सन ९९५ (श्रावण सुदी १३ संवत् १६४४) को सुलतान खुसरो पैदा हुआ।

तीसरी बेगमसे १९ आबान सन ९९७ (कार्तिक सुदी ४ संवत् १६४६) को सुलतान परवेज जनमा।