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पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/१९२

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जहांगीरनामा। ‘राजां रामदासको मृत्यु | . . . . . २८ (आश्विन सुदी ७) को खबर आई कि राजा रामदास जो बंगश और काबुलको कौमामें कुलीचवांके साथ था सर गया। . .........: दहले बागमे कूच । ... महर (आश्विन सुदी ११) को हर बागमे कूच हुश्रा उझान- जहांको आगरेको, महलोंकी और जानोंकी रखवाली पर छोड़ा गया। गजा बामको मृत्य। २. (आजिन सुदी १३).को खबर पहुंची कि राजा बाम थाने शाहबादमें जो अमराराणाको विलायतकी सीमा पर था मर गया। . . ... रूपवास। ... ...... ... . १० (कातिक बदी ४) को रूपवाममें जिसका नाम अब अमना- बाद होगया था डेरे हुए। . पहिले रूपवास रूपखवासको जागीर में था फिर बादशाहने. महाबतखांके वेटे अमानुलहकी . जागीरने देकर फरमा दिया था कि अब इसको अमनाबादके नामरी पुकारा करें। यहां ९१ दिन डेरे रहे यह शिकारको जगई थी. इसलिये बादशाह रोज शिकार खेलने को जाया करता था । १५८ हरन और दूसरे पशु शिकार हुए। . अमनाबादसे कूच । . . २५ (कार्तिक सुदी ५) को अमनाबादसे कूच हुआ। ३१ महर ८ रमजान (कार्तिक सुदौ १०) को खाजा अवुलहसन दक्षिणसे बुलाया हुआ पाया। ५० मोहरे १५ जड़ाऊ पदार्थ और एक हाथी नजर किया। कुलीचखांको मृत्यु । २ आबान १० रमजान (कार्तिक सुदी १०) को कुलीचवांक मरनेको खबर पहुंची। वह पुराना नौकर था ८० वर्षका होकर 'परशावरू(१)में मरा जहां पठानों के प्रवन्धके वास्ते, ठहरा हुआ था। उसका मनसब छः हजारो जात और पांच हजार सवारोंका था। (१) पेशावर। ".