सहित फौजमें पकड़ा आया है और उसका स्वामी भी शीघ्रही पकड़ा जायगा।
नवां नौरोज।
2 सफर (चैत्र सुदी १०) गुरुवारको दोपहर एक घड़ी रात जाने परं सूर्य मेख राशि पर आया। दूसरे दिन नवां नौरोज हुआ। अजमेरमें सभा जुड़ी। राजभवन दिव्य वस्त्रों रत्नों और जड़ाऊ पदार्थों से सजाया गया। बादशाह राजसिंहासन पर बैठा। उसोसमय खुर्रम बाबाके भेजे हुए आलमकमान हाथी और सतरह दूसरे हाथो हथनियोंके आनेसे सभाको शोभा बढ़ गई। बड़ा आनन्दमंगल हुआ।
दूसरे दिन बादशाहने शुभशकुन समझकर उस हाथी पर सवारी को। उस समय बहुतसे रुपये न्यौछावर हुए।
तीसरे दिन एतकादखांका मनसब दोहजारीसे तीनहजारी हो गया और उसको आसिफखांका खिताब मिला जो पहले भी उसके घरानेके दो पुरुषोंको मिल चुका था। उसके बाप एतमादुद्दौलाका भी मनसब बढ़कर पांच हजारी जात और दो हजार सवारोंका होगया।
खुर्रमके लिखनेसे सैफखांके बारह और दिलावरखांके पांच पांच सदी जात तथा दो दो सौ सवार और किशनसिंहके पांचसौ. सवार बढ़े।
इसी तरह और अमीरों के मनसबौंमें भी वृद्धि हुई।
१५ फरवरदीन (बैसाख बदौ ११) को महाबतखां खानआजम और उसके बेटे अबदुलहको लेकर आगया। बादशाहने खानाजमको, यह सोचकर कि कहीं खुसरोके पक्षपातसे रानाको फतहमें विघ्न न डाले आसिफखांके हवाले किया और कहा कि गवालियरके किले में आरामसे. नजरबन्द रखे।
खुसरो।
१८ उर्दी वहित (प्रथम जेठ बदौ ३०) को खुसरोकी ड्योढ़ी