पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/२२४

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जहांगीरनामा।

महासिंहको राजाको पदवी।

राजा मानसिंहके पोते महासिंहको बादशाहने राजाका खिताब नकारा और भाण्डा दिया।

केशव मारू।

२० (भादों बदी ४) को केशवमारूके अनसन पर जो दोहजारों जात और एका हजार सवारका या दो सौ सवार बढ़े और खिल- अत भी मिला।

मिरजा राजा भावसिंह।

२२ (भादों बदौ ६) को मिरजा राजा भावसिंइने अपने घर आमेर जानेको छुट्टी ली। बादशाहने पहुपमा काशमौरीका शाही जामा इनायत किया।

गिरधर।

१ शहरेवर (भादों वदी ३०) को दक्षिण जानेवाले अमीरों के मनसब बादशाहने बढ़ाये। उनमें राय साल दरबारौके बेटे गिरि- घरका मनसब आठ सदो जात और सवारोंका होगया।

इतनाही मनसब अलफखां क्यामखानीका भी हुआ। ।

जूरजहानी मोहर।

८ (भादों सुदी ७) को जूरजहानी :मोहर जो ६४०० रुपये को थी बादशाहने ईरानके दूत सुस्तफा बेगको दी। शबरातकी दीपमालिका।

आश्विन बदौ १ को रातको शजरातका त्योहार था। बाद- शाहक हुवासे आनासागरके किनारों और उसके आसपासके पहाड़ों पर दीपमालिका की गई। बादशाह भी देखनेको गया था और बड़ी रात तक वेगों सहित भानासागरके तट पर रहा। चिरागों का प्रतिबिम्ब पानीमें पड़कर अनोखो शोभा दिखाता था।

आदिलखांकी भेंट।

१७ (आखिन बदौ २) को मिरजा जमालुद्दीन -----


का एक प्रकारका कपड़ा।