पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/२२५

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संवत् १६७२।

वकील होकर दोजापुरको गया था वहांसे आकर तीन जहाज अंगूठियां नजर की। एक बहुत बढ़िया चौक, यमन देशको खानका जड़ा था। आदिलखांने भी सैयद कबीर नामक एक मनुथको अपनी तर मासे भेंट सहित भेजा था।

२४ (आश्विन बदौ ८) को आदिलखाको भेट बादशाहके दृष्टि- गत हुई। चांदी सोनेको ओंजको हाथी.. इराकी छोड़े, जवा- जिर, जड़ाज पदार्थ और अनेक प्रशारके कपड़े थे जो उस देश में होते है।

इशो दिन बादशाहने सौरपक्षकी वर्षगांठका तुलादान किया।

ईरानके दूतको बिदाई।

१६ (आश्विन बदौ ११) को ईरानका दूत मुस्तफावग बिदा हुश्रा। बादशाह उसको बीस हजार रुपये और सिरोपाव देकर शाइ ईरानके प्रेमपत्रका उत्तर प्रौतिपूर्वक लिख दिया।

दक्षिण पर सेना ।

५ महर (घाखिन सुदी ६) को महाबतखां और १० (आश्विन सुदी ११) को खानजहां दक्षिणको विदा हुआ। बादशाहने दोनो को हाथो घोड़े हथियार और सिरोपाव दिये। महाबतखांके सत- रहसौ अवारोंको दुस्पा और तिअत्याको तनखाह देनेको आज्ञादी।

इसबार इतनी खेना दक्षिणको और भेजी गई-

मनसबदार ३३० अहदी ३००० उवेमाक* ७०० सवार दिलाजाक पठान ३०० सवार तोपखान जंगीहाथी और ३० लाख रुपये।

सरबुलन्दराय।

स्वरवुलन्दराय का अनसब पांच सदी जात और २६० सवारों के बढ़नेसे दो हजारो जात और पन्द्रहसौ सवागेका होग-

राजा किशनदाखक मनसबमें पांच सदी जातको


  • एक जातिके तुर्क।

राव रतन हाडा।