सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/२४३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२२७
संवत् १६७३

सावन बदौ ३ शनिवारको बादाइ नूरचणमेसे अजमरके राज- भवनमें आया।

शुजाला जन्म।

१२ तौर (सावन बदी ७) रवियरको ३७ पल रात गये जबकि हिन्दू ज्योतिषियोंके मतसे धन लग्न २७ अंश और यूनानियोंके मत से मकर लग्न १५ अंश था आसिफखांकी वेटौम खुर्गमके घर फिर एक लड़का हुआ। बादशाहने सोच विचार कर उसका नाम शाह शुजा रखा इसके जन्नसे सबलोग हर्षित हुए।

रावल कल्याण ।

इसी दिन बादशाहने राव कल्याणको जड़ाऊ सूटको एक तल. वार और एक हासो दिया।

राय कुंवर ।

गुजरातको दीवान राय कुंवरको हाथो दिया गया।

राजा महासिंह।

२२ (सावन बदी ३०) को राजा महासिंहका मनसब पांच सदी जातको हाधि होनेसे चार हजारी जात और तीन हजार सवारोंका होगया।

मोनेका कटहरा।

बादशाहने कई मनोरथोंको सिद्धिके लिये खाजाजीको कबर पर सोनेका कटहरा चढ़ानेका संकल्प किया था। वह एक लाख दल हजार रुपये में बनकर तय्यार हुआ और सावन सुदी ४ को बादशाहके हुक्मसे वहां लेजाकर लगाया गया।

परवेजका बुलाया जाना।

परवेजसे दक्षिणको मुहिम बादशाहके मन मुआफिक नहीं सुधरी थी। बादशाहने खुर्रमका उत्साह देखकर उसको वहां भेजने और पौछेसे आप भी कूच करनेका विचार करके परवेजको इलाहाबाद जानेका हुक्म इस आशयले लिखा था कि जबतक हम सफरमें रहें वहांको रक्षा करे। २८ तौर (सावन सुदी ६) को