पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/२४४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२२८
जहांगीरनामा।

बिहारीदास वाकानवौसको अर्जी बुरहानपुरसे आई जिसमें लिखा था कि शाहजादेने २० तौर (सावन बदी १३०) को यहांसे इलाहाबादको कूच कर दिया है।

राजा आवसिंह।

१ अमरदाद (सावन सुदौ ) को बादशाहने राजा भावसिंह को जड़ाऊ तुर्रा दिया।

कन्नौज और सन्भल।

खवासखांके मरनेसे कन्नौजको हुकूमत सम्भलके फौजदार सय्यद अबदुल वहाबको मिली थी। अब मोर मुगल उसकी जगह सम्भलका फौजदार नियत हुआ और फौजदार रहने तक उसका मनसब पांच सदी जात और सवारका होगया।

रावल कल्याण ।

२१ (भादों बदी ३०) को रावल कल्याणने बादशाहको तीन सौ मोहरें घोड़े २५ ऊंट और १ हाथी भेंट किया। महामारी।

इस साल हिन्दुस्थानके शहरों में महामारी फैल रही थी जो पिछले वर्ष पंजाबके परगनोंमें प्रगट हुई थी। बढ़ते बढ़ते लाहोर में जा पहुंची। जिसमें बहुतसे हिन्दू मुसलमान मर गये। फिर सरहिन्द होकर दिल्ली तक फैल गई और उसकी तलहटीमें बहुतसे गांव और परगने उजड़ गये। बड़ी उमरके आदमियों और पुरानो तवारीोसे विदित हुआ कि यह रोग इस देशमें कभी नहीं आया था। उसका कारण हकीमों और विहानोंसे पूछा गया तो किसी किसी ने कहा कि दो वर्ष लगातार सूखे निकले और मेह कम बरसा। कोई बोला कि सूखा पड़ने और बरसात कम होनेसे हवा


यह खबर १० दिनमें आई थी शायद पहिले ही आगई हो। बादशाहके पास कागज पेश होने में भी कुछ देर लगतीही रही होगी।