पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/२८३

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ranA 'संवत् १६७४। झरोखे हैं। ५४॥ गज ऊंचा और ५० गज चौड़ा है। नौचेसे सातवें खण्ड तक १७९ सीढ़ियां हैं। बादशाहने आनेजानेमें चौदह सौ रुपये लुटाये। ३९ (सावन बदी ४।५) को बादशाहने सौस हजार रुपयेका एक लाल जो अपने सिर पर बांधा करता था सुलतान खुर्रम वास्ते भेजा। ५% अमरदाद (सांवन बदी १०) गुरुवारको बादशाह रनवास सहित नौलकुंडे के देखनेको गया जो मांडोगढ़में एक सुरम्य स्थान है। अकबर बादशाहके समयमें शाह मदाकखांने जब कि यह प्रान्त उसको जागीरमें था यहां एक मनोहर महल बनाया था बादशाह दो तीन बड़ी संत तक वहां ठहर कर राजभवनमें आगया । राण अमरसिंहको हाथो। ___७ (सावन बदौ १२) को आदिलखांके भेजे हुए हाथियों से एक मस्त हाथो बादशाहने राणा अमरसिंहके वास्ते भेजा।

... .. शिकार।

': ११ (सावन सुदी १) को वादशाह शिकारके वास्ते किलेसे उतरा था। परन्तु मेहा और कीचड़से रास्ता बन्द था इसलिये आद- मियों और जानवरों के सुखके विचारसे गुरुवारको बाहर रहकर शुक्रकी रातको लौट आया , ...: ... अति वर्षा । .......... इस बरसातमें इतना पानी बरसा कि बूढ़े बूढ़ोंने वैसी वर्षा न देखी थी। ४० दिन बादल घिरे रहे। सूर्य कभी कभी दिखाई दिया। आंधौ पानीके जोरसे बहुतसे नये पुराने मकान गिर गये। पहली रातको वा होते समय बिजली ऐसी कड़ककर गिरी कि बीस स्त्री पुरुष मरे। कई दृढ़ मकान टूट गये। आधे साधन तक जल वायुका जोर रहा। फिर धीरे धीरे कम होगया।

  • असलमें तारीख रह गई है परन्तु गुरुवार लिखा है। गुरु-

वारको ५ तारीख थी।