संवत् १६७४। rememmmmmmmmmmmmmmmmmmm २७ गज है। कोठड़ियोंका फाश, बहराव और जिमवर, अरमान पत्थरके हैं। पारीको दो मोनार लीगलौज खण्डके हैं उगी पावाणों में वेलबूटे बड़ी कारीगरीके बने हैं। निमवरणी दहगी गुजामें कोठडीके कोनेसे मिली हुई एक बैठक छांट दी है जो खन्नोंकी बीच पत्थरके तख्तोंसे ढकी हुई है और उसके गिर्द छत तका पत्यरका कटहरा लगा हुआ है। तात्पर्य यह है कि जज बादशाह जुम्ने या ईदको नमाजके वास्ते आवे तो अपने सभासदी उशित उसपर जा कर नमाज पढ़े। उसको यहांवाले अपनी बोलीमें अलूकखाना (राजभवन) कंचते हैं। भीड़से बचने के लिये ऐसौ युक्ति की गई है सच यह है कि यह बात बड़ी मसजिद है। रोख वजीदको खानकाह । २७ (बाघ सुदी १०) बुधवारको बादशाह पोख वजीहीनको । खानकाहको देखने गया, जो राजभवनको समीपही थी। उसके चौकमें उसको कबर पर फालहा पढ़ा। यह खानकाह सादिका खांने जो अकबर बादशाहक बड़े हामी में था वनवाई थी। शैम्बू ३० वर्ष पहले मरा था। वह शैक्ष शुहम्मदगीस खलोगों में • से शा। शैखके बेटे तया पोते अबदुलह और अतडुलाइ भी सर के थे। असदलका भाई शेख हैदर दादाको महीपर था। बादशाह ने उसको पन्द्रहसौ रूपये मृत शैखका उर्स करनेको दिये जो उन्हीं दिनों में होनेवाला था और उतनेही रुपये वहांके पाको को अपने हाथसे खैरात किये। पांच सौ रुपये रोख हैदरको माई वजोहुद्दीन को दिये। ऐसेही उसके दूसरे सम्बन्धियोंको रूपये और भूमि. दी। ख हैदरसे कहा कि जिन फकोरों और गरीबोंको वह जानता हो . हुजूरमें लाकर खर्च और जमीन दिलानको प्रार्थना करे। रुस्तम बाड़ी। २८ (माघ सुदी ११) गुरुवारको बादशाह रुखमबाडोमें गया । पन्द्रहसौ रुपये मार्गमें लुटाये। यह बाग बादशाहके भाई शाह
- मकरानेको रंगतके खेत पाषाणको मरमर कहते हैं ।
[ २६ ]