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पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/३१८

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३०२
जहांगीरनामा।

३०२ जहांगीरनामा। सुरादने अपने बेटे रुस्तमके नामसे बनाया था और गुरुवारका उत्सव वहीं करके कई निज सेवकोंको प्याले दिये। . दिनढले शैख सिकन्दरको हवेलौके बागीचे में गया जो रुस्तम बाग के पड़ौसमें था । उसमें अजीर खूब पके हुए थे। बादशाह लिखता है कि अपने हाथसे मेवा तोड़ने में बड़ा मजा आता है । मैंने आज तक हाथसे अञ्जौर नहीं तोड़े थे और इस प्रसंगसे धौख सिकन्दरका मान बढ़ाना भी अभीष्ट था इसलिये सीधा चला गया। शेख सिकन्दर गुजराती है और सज्जनतासे शून्य नहीं हैं। गुजरातके बादशाहोंका वृत्तान्त खूब जानता है। ५ वर्षसे मेरे बन्दोंमें, नौकार है। . . . . . . . .:. रुस्तमखांको रुस्तमबाड़ी। ___ बादशाह शाहजहांकी प्रार्थनास रुस्तमबाड़ी उसके नौकर कसुर मखांको देदी। वह अहमदाबादका हाकिम बनाया गया था । ईडरका राजा कल्याण । इसी दिन ईडरके राजा कल्याणने उपस्थित होकर एक हाथी और घोड़े भेट किये। बादशाहने हाथी उसीको बखश दिया। वह लिखता है-"यह गुजरातके सीमाप्रान्सका मोतबिर, जमींदार है। इसका राज्य रानाके पहाड़ोंसे मिला हुआ है। गुजरातके बादशाह सदा उस पर चढ़ाई करते रहे हैं। यद्यपि किती विभीने. झुछ अधीनताभी स्वीकार को और मेटभी भेजी पर आप कभी किसी के मिलनेशो नहीं गया। जब स्वर्गवासी श्रीमाजने गुजरात विजय. को तो राजा पर भी सेना भेजी थी। जव उसने अधीन होनेके शिवा अपला बचाव न देखा तो सेका खोकार करके चौखट चूमने को पाया। उस दिनसे अबतक सेवकोंमें शामिल है और जो कोई अहमदाबादके शासन पर नियत होता है और जब काम पड़ता है तो सेना सहित उपस्थित होजाता है।

  • इसने मिरात सिकन्दरौ नामक एक अच्छी तवारीख गुजरात

की बनाई है।