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पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/३२०

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जहांगीरनामा।

जहांगीरनामा। फतहबाड़ी। जियारत करके बादशाह फतहबागमें गया। यह उस जगह पर है जहां खानखानाने नन्हसे जो अपनेको सुलतान सुजफ्फर कहलाता था युद्ध करके जीत पाई थी। गुजरातवाले इसको पति- हबाड़ी कहते हैं। .. . ::. नन्हू। एतमादखां गुजरातीने अकबर बादशाहमे कहा था कि यह नन्हू बहलवानका बेटा था। जब सुलतान महमूद तथा गुजरातके और किसी बादशाहको सन्तान न रही थी तो हमने इसको सुस- तान महमूदका बेटा बनाकर सिंहासन पर बिठा दिया क्योंकि वह समय ऐसाही था। .इस प्रसङ्गसे बादशाहने सविस्तर वृत्तान्त. खानखानांके गुजरात विजय करनेका लिखा है परन्तु वह अकबरनामे में लिखा जाचुका है इसलिये यहां अनावश्यक समझकर छोड़ दिया गया। खानखानाने विजय प्राप्त होनेके पक्षात् साबरमती नदीके तट पर यह बाग १२० डोरी भूमिमें लगाया था। इसके आसपास पक्का कोट बना है। बादशाह लिखता है:-अति उत्तम विहार- स्थान है दो लाख रुपये इसमें लगे होंगे। मुझको बहुत पसन्द प्राया। यह कहना चाहिये कि गुजरात.भर में कोई बाग इसके समान न होगा। मैंने यहां गुरुवारका उत्सव करके निज पारि- पदोंको प्याले दिये और रातको वहीं रहकर शुक्रको पिछले दिन से शहरमें आया। १०००) रास्ते में लुटाये। ..... उस समय बागबानने प्रार्धमा की कि कई चम्पाके झाड़ जो नदी पर बने हुए चबूतरे में लगे थे,सुकरबलांझे नौकरने काट डाले हैं। बादशाहको यह बात बहुत बुरी खगी और खयं निर्णय करके साबित होने पर उसकी दो उङ्गलियां काटनेका हुक्म दिया जिससे दूसरोको भय हो। बादशाह लिखता है-"सुकर्रबखा को खबर नहीं हुई होगी नहीं तो वह उसी समय दण्ड देदेता।