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जहांगीर बादशाह सं० १६६२ ।

(काव्य) में इस किले के जीतने का वर्णन किया है जिसमें लिखा है कि--

आगरे का किला गर्द में प्रकट हुआ,
जिसके ऊपर कंगूरे पहाड़ों के समान थे।

"सिकन्दर लोदी का विचार गवालियर लेने का था इस लिये वह हिन्दुस्थान को बादशाहों की राजधानी दिल्ली मे आगरे में आया और वहां रहा। उस दिन से आगरे मे बस्ती बढ़ने लगी और वह दिल्ली के बादशाहों का "पायलखत" हो गया ।"

"जब परमात्माने हिन्दुस्थान के बादशाही इस बड़े घराने को दी तो बाबर बादशाह ने सिकन्दर लोदी के बेटे इब्राहीम को मारने और राना सांगा को जो हिन्दुस्थान के राजों और जमींदारी में सबसे बड़ा था हराने के पीछे यमुना के पूर्व को एक भूमि पसन्द कर के एक बाग बनाया जिसके समान सुन्दर बाग दूसरी जगह कम ही होगे। उसका नाम गुलअफशां रखा। एक छोटीप्ती मसजिद भी उसके कोने में तराशे हुए लाल पत्थरी की बनवाई और भी बड़ी इमारत बनवाने के विचार में थे परन्तु आयु शेष होजाने से नहीं बनवा सके।"

"खरबूजे आम और दूसरे मेवे आगरे में खूब होते हैं सब मेवो से आम में मेरी रुचि अधिक है। विलायत के कितने ही मेवे जो हिन्दुस्थान मे नहीं होते थे स्वर्गवासी श्रीमान (अकबर) के समय मे होने लगे हैं। साहियो हबशी और किशमिशी जातिके अंगूर बड़े बड़े शहरों में होने लगे हैं। लाहोर के बाजारों से अंगूर के मौसम में जितनी जाति के चाहें मिल सकते हैं।

"एक मेवा अनवास नामक फरंगके टापुओं में होता है जो बहुत सुगन्धित और स्वादिष्ट होता है, वह गुलअफशां बाग से हर साल कई हजार उत्पन्न होता है।"

"हिन्दुस्थान के सुगन्धित फूलों को दुनिया भरके फूलों से उत्तम कहना चाहिये। कितने ही फूल ऐसे हैं जिनका किसी जगह पृथ्वी मे नामो निशान नहीं है। प्रथम चम्पा का फूल, बहुत कोमल और

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