पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/४५

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wwwA जहांगीर बादशाह संवत १६६२ । बिलकुल उन पट्टोंके अनुसार जो उनके पास हो स्थिर रहें और मोरानसदरजहां (धर्माधिकारी) पालना करनेके योग्य लोगोंको नित्य प्रति मेरे सम्मुख लाया करें। १२-सब अपराधी जो वर्षों से किलों और काराग्टहोंमें कैद हैं छोड़ दिये जावें। सिका। फिर बादशाहने एक शुभमुहर्त में अपने नामको छाप सोने चांदी पर छपवाई और अनेक तौलके रुपये मोहरें और पैसे चलाये जिनके नाम पृथक पृथक रखे गये। यथा- सिक्का तौल नाम मोहर १०० तोला नूरसुलतानी ५० , नूरशाही नूरदौलत नूरकरम नूरमहर . -F नूरजहांनी रुपया आधा तोला नूरानो पाव तोला रिवाजी १०० तोला कोकवताला ५० , कोकवेइकबाल २० , कौकबेमुराद १० , कौकबेबखत बढ़ाये । १० के १२ से कम नहीं और अधिक १० के ३० और ४० (अर्थात् सवाये तिगुने और चौगुने) कर दिये। सब अहदियोंका खाना द्योढ़ा और कुल शागिर्दपेशोंका महीना, सवाया कर दिया। अपने पूज्य पिताको महलवालियोंका हाथखर्च उनकी. दशा और व्यवस्थाके अनुसार १० से १२ और १० से २० तक सवाया और दूना बढ़ा दिया।