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पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/५१

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जहांगीर बादशाह सं० १६६२ ।

शिगरफसे लगाई जाती थी। मैने हुक्म दिया कि छाप लगानेको जगह पट्टे पर सोना चढ़ा दिया करें। अब इस छापका नाम "आलतमगा" रख दिया है। (१) ।

अमीरोंके इजाफे ।

बदखशांक मिरजासुलेमानके पोते और शाहरुखके बेटे मिरजा सुलतानको बादशाहने बेटोंकी भांति पाला था। उसे एक हजारी मनसब दिया।

भावसिंहका सनसब बढ़कर डेढ़ हजारी होगया। यह राजा मानसिंहको सन्तानमें बहुत योग्य था।

गयूरबेग काबुलीके बेटे जमानावेगको डेढ़ हजारी मनसब, महाबतखांका खिताब और शागिर्दपेशेके बखशीका पद मिला (२) यह पहले अहदी था फिर पानसदी हुआ था।

राजा बरसिंह देव ।

राजा बरसिंहदेव (३) बुन्देलेको तीन हजारी मनसब मिला। बादशाह लिखता है कि यह बुन्देला राजपूत मेरा बढ़ाया हुआ है। बहादुरी भलमनसी और भोलेपनमें अपने बराबरवालोंसे बढ़कर है। इसके बढ़नेका यह कारण हुआ कि मेरे पिताक पिछले समय में शैख अबुलफजलने जो हिन्दुस्थानके शेखों में बहुत पढ़ा हुआ और बुद्धिमान था स्वामिभक्ता बनकर बड़ेभागे सोल में अपनेको


(१) जहांगीर बादशाहके कई फरमान इस लाल छापके हमारे

देखने में आये आये हैं।

(२) कर्नल टाडने भूलसे इसको रजपूत लिख दिया है यह

मुगल था।

(३) फारसी तवारीखमें नरसिंहदेव भूलते लिखा है यह भूल

एक नुकतेको है क्योंकि 'बे' और 'नून' को शक्लमें एक नुकतेका फर्क है नीचे नुकता लग जावे तो 'ब' और ऊपर लगे तो 'नून' होजावे । फारसी लिपिमें नुकतोंके हेर फेरसे अर्थका अनर्थ होजाता है। इसके कई दृष्टान्त मैं स्वप्न-राजस्थान ग्रन्थ में लिम्ब चुका है।