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पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/६५

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जहांगीर बादशाह स० १६६२।

होकर अपने पीनेका पानी मंगाया और मिरजाको पिलाया।"

"मिरजा मुहम्मदहुसैनको पकड़े जाने पर आप धीरे धीरे अह- मदाबादको चले। मिरजाको राय रायसिंह राठोड़ेके जो ऊमद राजपूतोंमेंसे था हवाले किया कि हाथी पर डालकर साथ खाये।"

"इतने में अखतियारुलमुल्क जो गुजरातियोंकि बड़े सर- दारों से था ५००० आदमियों सहित आता हुआ दिखाई दिया। बादशाही लोग उसको देखकर घबराये। पर हजरतने अपनी स्वाभाविक वीरतासे बाजे बजानेका हुक्म दिया। शुजाअतखां राजा भगवानदास और कई बन्दे आगे जाकर लड़ने लरी और राय राय- सिंहके नौकरों ने इस विचारसे कि कहीं मिरजा सुहादहुसैनको शत्रुको सेना छुड़ा न लेजावे राजाले अनुमोदनसे उसका सिर काट दिया। अखतियारुलमुल्काको फौज भी दिखर गई। घोड़ेने उसे घहरों में गिरा दिया और सुहराबबंग इक्षा उसका सिर काटलाया। यह इतनी बड़ी जीत उन खोड़ेसे आदमियों द्वारा ईश्वरको कृपासे हुई थी।"

कारखानोंका दीवान।

"जिस दिन बादशाहने एतमादुद्दीलाको दीवान किया था कारखानोंको दीवानीका काम मुअज्जु लमुल्क को दिया था जो अकबर बादशाहके समयमें करकराकखानेका मुशरिफ था।"

"इसी तरह बंगाले चित्तोड़ रणथम्भोर खानदेश और आसेर आदि भारतके प्रसिद्ध किलोका जीतना है।"

"चित्तोड़के घेरेमें उन्होंने जयमलको जो किलेवालोंका सरदार था अपनी बन्दूकसे मारा था। यह बदूक जिसका नाम संग्राम है, जगतको अनोखी बंदूकोंमेंसे है । इससे तीन चार हजार पशु पक्षी उन्होंने मार होंगे।"

"बन्दूकका निशाना वह बहुत अच्छा लगाते थे। इस काम, मैं भी उनका योग्य शिष्य होसकता हूं। बन्दूकसे शिकार करने को सुझ बड़ी रुचि है। एक दिन १८ हरन बन्दूकसे मारे।"

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