पृष्ठ:जातिवाद का उच्छेद - भीम राव अंबेडकर.pdf/११६

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प्रकाशक की भूमिका

ज आर्य्य-जाति की बड़ी हीन दशा है, पेशावर से बंगाल तक और हिमालय से कन्याकुमारी तक इस देश के असली निवासी (आर्य लोग) महा दुखी हैं, आए दिन हिन्दुओं के लुटने, पिटने, उनकी बहू बेटियों के तिरस्कृत होने तथा मन्दिरों और मूर्तियों के टूटने के समाचार आते रहते हैं, अभी सब से ताजा समाचार यह है कि पेशावर से परे के मुसलमानों ने हिन्दुओं और सिक्खों को अपने यहां से निकाल दिया है, इस समय तक निराकार ईश्वर के उपासक आर्यसमाजी अपनी यथा-तथा स्थिति बनाए हुए थे, परन्तु यह बात कब तक चल सकती थी? आर्यसमाज ही हिन्दू जाति का रक्षक समाज है, यही एक जीवित जागृत संस्था है, विरोधियों को देर से इस पर दृष्टि थी, परन्तु वे समय की ताक में थे। देश की शासनसत्ता के मौन से लाभ उठा करे पहले श्री स्वामी श्रद्धानन्दजी की हत्या की गई, फिर दूसरे आर्य-समाजिर्यों पर हाथ डाला गया, जि न कोई हिन्दु सुरक्षित हैं न अर्व्यिसमाजी, सभी की जान और माल के लाले पड़े हुए हैं,