पृष्ठ:जातिवाद का उच्छेद - भीम राव अंबेडकर.pdf/१२०

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ग्रन्थकार की भूमिका

प्रातः स्मरणीय परमहंस परिव्राजकाचार्य श्री स्वामी दयानंद सरस्वतीजी महाराज कृत तथा आर्षप्रंथों के स्वाध्याय से मेरे हृदय पर इस विचार ने पूर्ण अधिकार प्राप्त कर लिया है कि भारतवर्ष की अधोगति का मुख्य तथा प्रबल कारण एकमात्र जातिभेद है। अतः प्रत्येक देशभक्त का यह परम कर्त्तव्य है कि वह यथाशक्ति इस कुप्रथा के नाश के लिये प्रयत्न करे, इसी विचार से प्रेरित होकर मैंने यह लघु पुस्तक इस विषय में जनता का विचार परिवर्तन करने के अभिप्राय से लिखी है। इसमें आलंकारिक भाषा का प्रयोग न करते हुये सीधी सादी भाषा लिखने का प्रयत्न किया है। मैं अपने उद्देश्य में कहांतक सफल हुआ हूँ, इसका विचार विज्ञपाठक स्वयं करेंगे।

वैशाख शुल्क ३
संवत् १९८४


विनीत—
रामलाल वकील,
हाईकोर्ट कोटा (राजपूताना)