जाति, वर्ग और संपत्ति के संबंध / 89 घटनेवाली अपनी तरह की अनहोनी और इक्का-दुक्का घटनाएं हों, इस तरह की घटनाएं देश भर में आम बात हो गयी हैं। ये घटनाएं छुआछूत, सामाजिक दमन और वहशीपन की उस पुरानी अमानवीय परंपरा का ही हिस्सा हैं जो आज आजादी के चालीस सालों के बाद भी, और अनुसूचित जातियों, जनजातियों संबंधी सारे कानूनों और कमीशनों के बावजूद, हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्रों में चलती चली आ रही है। यह सब सामंती और अर्द्धसामंती भूस्वामित्व के विकास का और इसी सामंती जाति प्रथा और सामाजिक आधार से पैदा हुए 'नये अमीरों' के फलने फूलने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था तथा जीवन पर उनके शिकंजे का परिणाम है। ये घटनाएं यही दिखाती हैं कि सरकार मध्ययुगीन सामंती - आर्थिक आधार को खत्म करने में नाकाम रही है। सरकार जमींदारी को खत्म करने, जोतनेवाले को जमीन देने और उसे जमीन व रोजगार, उचित मजदूरी और बेहतर जीवनस्थितियाँ ( घर बनाने के लिए जमीन, शिक्षा और चिकित्सा सुविधाएं) मुहैया कराने में असफल रही है ? ये घटनाएं यही बताती हैं कि सामुदायिक विकास, पंचायत राज, सहकारिता आदि के नाम पर कांग्रेस सरकार जिन नीतियों पर चल रही है उनसे ग्रामीण क्षेत्र के सामंती निहित स्वार्थों का शिकंजा और मजबूत होता जा रहा है। कहा तो यह जाता है कि ये नीतियां ग्रामीण जनता की बदहाली को दूर करने के लिए हैं, लेकिन उनके पीछे मकसद यही है कि, 'नये अमीरों' के रूप में बदल रहे पुराने सामंती- अर्द्धसामंती भूस्वामियों को ताकतवर बनाया जाय और ग्रामीण जीवन पर उनकी जकड़ और मजबूत की जाय। सारी राज्य- मशीनरी, खासकर पुलिस और कचहरी को इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। अतः इसमें ताज्जुब की कोई बात नहीं कि इस तरह के अत्याचार दिनों दिन बढ़ रहे हैं और सारे मानवीय मूल्यों और अच्छाइयों को पांवों तले रौंदकर ग्रामीण जीवन को पाशविक बनाया जा रहा है। हमें अचरज नहीं होगा कि किसी दिन इन अभागों का धैर्य चुक जाय और वे हताशा की कार्रवाइयों का सहारा लेने को मजबूर हों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर जातिवादी दंगे हों जिनके आसार अभी से दिखायी पड़ने भी लगे हैं। वर्तमान सांप्रदायिक तथा भाषायी दंगों के साथ-साथ जातिवादी और नस्लवादी दंगों की स्थिति भी पैदा हो सकती है। इस खतरे से बचने का एक ही रास्ता है कि इनके लिए न्यूनतम आर्थिक जीवन स्थितियों की गारंटी की जाए और पुराने सामंती, अर्द्धसामंती तथा 'नये अमीरों' के प्रभुत्व को खत्म