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पृष्ठ:जायसी ग्रंथावली.djvu/२१५

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नागमती सुआ संवाद खंड

मिलतहु महुँ जनु अहौ निनारे। तुम्ह सौं अहै अँदेस, पियारे!
मैं जानेउँ तुम्ह मोही माहाँ। देखौं ताकि तौ हौ सब पाहाँ॥
का रानी, का चेरी कोई। जा कहँ मया करहु भल सोई॥

तुम्ह सौं कोइ न जीता, हारे बररुचि भोज।
पहिलै आपु जो खोवै, करै तुम्हार सो खोज॥९॥