पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१०

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ही बन गए हैं । नाक में दम कर रखा है इन ब दरो की औलाद ने। ऐसे रौब गाठते है, जैस हम उनके वाबा के नौकर हा इमपर भी उसका गुस्मा ठण्डा नहीं होता था। जब ता उमका कोई साथी उसके पास बैठा रहता, वह अपन सीन की आग उगलता रहता। 'शक्ल देसत हो न तुम उसको जस कोड हो रहा हो। बिलकुल मुदार-एव धप्प की मार । गौर गिट पिट, गिट पिट यो बक रहा था, जैस मार ही डालेगा। तरी जान की कसम, पहले पहल जी म आई कि साले की खोपडी के पुर्जे उडा द्, लेकिन इस खयाल स टाल गया कि इस मरदूद को मारना भी अपनी हतक है।' यह कहत-कहते यह घोडी देर के लिए खामोश हो जाता और नार को साकी कमीज की आस्तीन से साफ करन के बाद फिर बडवडाने लग जाता। 'कसम है भगवान की, इन लाट साबा के नाज उठात उठात तग आ गया हू । जव कभी इनका मनहूस चहरा दखता हू रगा मे खून खौलने लग जाता है । काई नया कानून-वानून बन तो इन लोगो से छुटकारा मिले । तरी कसम, जान मे जान आ जाए।' और जव एक दिन उस्ताद मगू ने पचहरी से अपन ताग पर दो सवा रिया लादी और उनकी वाना मे उस पता चला कि हिंदुस्तान म नया कानून लाग होन वाला है तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना न रहा । दो मारवाडी, जा वचहरी में अपने दीवानी के मुक्दमे के सिनमिरे मे आये थे, वापस घर जात हुए नय कानून यानी 'इण्डिया ऐक्ट के पार म बातें कर रहे थे। सुना है कि पहली अप्रल स हि दुस्तान मे नया कानून चलेगा ? क्या हर चीज बदन जाएगी? 'हर चीज तो नही बदलेगी, मगर कहते है कि वहुत कुछ बदर जाएगा और हिंदुस्तानिया पो ग्राजादी मिल जाएगी।' 'क्या ब्याज मे वारे में भी नया कानून पास होगा?' 'यह पूछने की बात है । पल किमी वकील से पूछेग ।' उन मारवाडिया की बातचीत उस्ताद मगू के दिल में नाबादिले. बयान सुशी पैदा कर रही थी। वह अपने घोडे को हमेशा गालिया दता नया कानून /