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बाबू गोपीनाथ के स्वर मे वह श्रद्धा, जो उसमे मेरे प्रति थी, पायल नजर आई, लेकिन इससे पहले कि मैं उमसे माफी मागू, उसने जीनत के सिर पर हाथ फेरा और बडे खुलूस के साथ कहा, 'खुदा तुम्ह खुश रखे।' यह वहार वाबू गोपीनाथ ने भीगी हुई पाखो से मेरी तरफ देखा, उनमे निदा थी, बहुत ही दुख भरी निदा, और वह चला गया। बाबू गोपीनाथ | 121