पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/११९

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__ या गोपीनाथ ने बडे खुलूस और तवजह से जीनत की शादी का इतजाम दिया । दो हजार के जेवर और दो हजार के अपडे बनवाए और पाच हजार नरददिए ।

मुहम्मद शफीर तूमी, मुहम्मद यासीन प्राप्राइटर नगीना होस, संण्डा म्यजिक टीचर में और गोपीनाथ गादीम शामिन ये दुलहन का तरफ स सण्डो वकील था । निकाह हा तो मण्डो न धोरस बहा धडन तस्ता गुलाम सन सज का नीता सूट पहने हुए था । सबन उसको मुबारकबाद दी , जा उसने खुशी सुगी कुल की । काफी सूबसरत प्रारमा था । बाद गोपीनाथ उसके मुकारले म छोटी सी बटेर मातम होता था । ____ादी की दावता म खान पीन का जो भी मामान हाता है, उसका प्रवध बाब गापीनाथ ने किया था । दावत से जब ताग पारिंग हुए ता बाबू गोपीनाथ न सबके हाथ धुलवाए । मैं जब हाथ धान के लिए आया तो उसने मुझसे सच्चा के मे अदाज में कहा, मण्टो माहब , जरा अदर जाइए , और दपिए जना दुलहन के लिबास मक्सी लगती है ।

म पदा हटाकर मदर दासिन हुमा । जीनत मुन जरवपन का सल वार कुरता पहन हुई थी दुपटग भी उसी रग का था ,निमपर गोट लगी थी । चेहरे पर हल्का हल्का मअप था हालाकि मुझे होठो पर लिपस्टिक की सुर्सी बहुत उरी मालूम होती है , लेकिन जीनत के होठ सजे हुए थे । उमन शरमावर मुझे पादान किया तो वह बहुत प्यारी लगी । जब मैंन दूमर कोन म एक मसहरी देखी जिमपर फूल ही फूल थे तो मुझे प्रना याम हसी आ गई । मैंन जीनत से कहा, यह क्या मसखरापन है ।

जीनत न मरी नरप बिजल मासूम क्व्त री की तरह देखा , आप मजार करते है भाईजान । उसन कहा और उसकी पापा मे पास डब डा पाए ।

मुझे अभी अपनी गलती का एहमाम भी न हुमा था कि बार गोपी नाथ प्रदर दाखिल हुमा । बड प्यार के साथ उसन अपन स्माल स जीनत वे भामू पाछ, मोर धडे दुख साथ मुझस वहा मण्टो साहब, मैं समझा था नि पाप बई ममझदार मोर लाया आदमी है, जेतो का मजार उडान स पहल प्रापने कुछ सोच लिया हाता । 120 / टोबा टेवसिंह