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पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१२२

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एक दिन नहाते नहात एव मुमलमान पागल ने 'पाकिस्तान जिदा- वाद' का नारा इतने जोर से लगाया कि पश पर फिमलकर गिर पडा और बेहोश हा गया । कुछ पागल ऐसे भी थे जो पागल नही थे। इनमे ऐम पूनिया की सग्या अधिक थी, जिनके माधिया न प्रफमरो को रिश्वत दे दिलाकर उह पागलसान भिजवा दिया था ताकि वे फामी फदे म बच जाए। वे कुछ कुछ समझते थे कि हिंदुस्तान का बटवारा क्या हुआ है और यह पाविम्नान क्या है, लेकिन सभी पटनाग्रो का उहें भी कुछ पता न था। असनारों मे कुछ पता नहीं चलता था और पहरेदार सिपाही अन- पढ, उजडड थे। उनकी बातचीत से भी वे कोई प्रथ नही निकाल सकते थे। उनको वेवल इतना पता था कि एक पादमी मुरम्मद अली जिना है जिसको कायदे आजम कहते हैं-उसने मुसलमानो के लिए एक अलग देश बनाया है, जिसका नाम पारिस्तान है। यह पहा है और इसकी उपयो- गिता क्या है, इसके सम्बध म वे कुछ नहीं जानते थे। यही कारण था कि पागलखाने म वे सब पागल, जिनका दिमाग पूरी तरह से खराब नहीं था, इस असमजस म थे कि वे पाकिस्ताा म थे या हिदुस्तान म । अगर हिदुस्तान में हैं तो पाविम्तान रहा है और अगर वे पाकिस्तान में है तो तो यह कैस हो सकता है कि वे कुछ समय पहले यही रहत हुए भी हिंदु स्तान म थे? एक पागल तो पाविस्तान पोर हिदुस्तान तथा हि दुस्नान और पाकिस्तान के चक्कर में ऐमा पडा वि और ज्यादा पागल हो गया। भाडू देत दस एक रिन एक पेड़ पर चढ़ गया और एक टहनी पर बैठकर दो घण्टे तक लगातार भापग देता रहा, जो पाकिस्तान और हिंदुस्तान नाजुक मसले पर था। सिपाहियो ने उसे नीचे उतरने के लिए कहा तो वह और ऊपर चढ़ गया। डराया धमकाया गया तो उसने कहा, मैं न हिंदुस्तान में रहना चाहता हू न पापिस्तान मे । में इस पड पर ही रहूगा। वडी मुश्किलो के बाद जब उसका दौरा ठण्डा पडा ता वह नीचे उतरा और अपने हिदू सिख मिना स गले मिल मिलकर रोने लगा। इस विचार मे उसका दिल भर पाता था कि वे उसे छोडकर हि दुस्तान चले जाएगे। टोवा टेवसिंह / 123