पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१३८

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ने उनकी कोई परवाह न की और भगवान को घयवाद दिया कि बोतल सलामत रही। एक बोतल जल्दी जल्दी सोलवर उमने कोरे गिलासो में रम डाली और कहा, 'तुम्हारे पूना पाने की खुशी म।' हम दोनो न लम्बे लम्ब घूट भरे और गिलाम साली कर दिए। दूसरा दौर शुरु करके चडढा उठा और कमरे में देखकर आया कि मेरी बीवी अभी तक सो रही है । उसको बहुत तरम प्राया। कहने लगा, 'मैं शोर करता हू, उनकी नीद खुल जाएगी-फिर ऐसा करेंगे ठहरी पहले मैं चाय मगवाता हू।' यह कहकर उसन रम का एक छोटा मा घूट लिया और नौकर को आवाज दी, जमीवा के शहजादे।' जमीका का शहजादा तुरत पा गया। चड्ढे ने उससे कहा, 'देखो, मम्मी से कहो, एकदम फ्स्ट क्लास चाय तयार करके भेज दे।' नौकर चला गया । चड्ढे न अपना गिलास खाली किया और शरी- फाना पेग डालकर कहा, 'मैं इस उक्त ज्यादा नहीं पीऊगा। पहले चार पग मुझे बहुत जज्बाती बना दते है । मुझे भाभी को छोडने तुम्हारे साथ प्रभातनगर जाना है। प्राधे घण्टे के बाद चाय या गई । बहुत साफ बरतन थे और बडे सलीके से ट्रे में रखे हुए थे। चडढे ने टीकोजी उठावर चाय की खुशबू सूची और प्रसनता प्रकट करता हुआ बोला, 'मम्मी इज ए ज्यूल 'फिर उसने इथोपिया के शहजादे पर वरमना शुरू कर दिया। उसने इतना शोर मचाया कि मेरे वान बिलबिला उठे। इसके बाद उसने ट्रे उठाई और मुझसे कहा, 'मानो।' मेरी बीवी जाग रही थी। चडढा ने ट्रे बडी सफाई से टूटी हुई तिपाई पर रखी और वडे अदब स पहा, 'हाजिर है बेगम साहबा ।' मेरी वीवी को यह मजाक पस द न पाया, लेविन चाय का सामान चूकि साफ- सुथरा था, इसलिए उसने इनकार न दिया और दो प्यालिया पी ली। इनसे उसको कुछ ताजगी मिली। इसके बाद हम दोनों को प्रोर मुडकर उसने रहस्यपूण स्वर में कहा, 'आप अपनी चाय तो पहले ही पी चुके हैं।' मैंने जवाब न दिया, मगर चड्ढे ने मुकदर बडी ईमानदारी दशाते हुए कहा, 'जी हा, यह गलती मम हो चुकी है, लेकिन झे यकीन था मम्मी / 137