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पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१३९

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कि पाप जस्र माफ कर देगी।' मेरी बीवी मुस्वराई तो वह सिलपिलाकर हसा, 'हम दोगा बहुत अची नस्ल वे मूगर हैं, जिनपर हर हराम की चीज हलान है। चलिए, अब हम आपका मस्जिद तक छोड आए।' मेरी बीवी को फिर चडढा का यह मजार पसद न पाया । वास्तव म उसको चडढा ही स घणा थी या या काहिए कि उसे मेरे हर दोस्त स घृणा थी, और चडढा उनम सबसे ज्यादा खलता था, क्योकि कभी कभी वह वतकल्लुपी की हदें भी फाद जाता था। लेकिन पडदे को इमकी कोई परवाह नहीं थी। मेरा सयाल है वि उसने कभी इसके बार म सोचा ही नही था। वह ऐमी वेकार की बातो मे दिमाग सच करना एक ऐसा "इन डोर गेम' समझता था, जो लडो स कही अधिक वेमानी होती है। उसने मेरी बीवी के बिगडे तेवरो को बडी खुश खुश नजरो से देखा और नौकर को आवाज दी, प्रो क्वाबिम्नान के गहजाद । एक अदद तागा लामो-रोल्ज रायस विस्म का। क्बाविस्तान का शहजादा चला गया और साथ ही चहढा भी। वह शायद दूसरे कमरे मे गया था। एका त मिला तो मैंने अपनी बीवी को समझाया कि क्वाब होने की कोई जरूरत नही । आदमी की जिन्दगी म ऐसे क्षण आ ही जाया करते है जिनका कभी खयाल तक नहीं पाता। उनसे गुजरने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि उनको गुजर जान दिया जाए। लेकिन नियमानुसार उसन मेरी इस सीख पर कोई ध्यान नहीं दिया और व बटाती रही। इतन म क्वाबिरतान का गहजादा रोल्ज रायस विस्म का तागा लेकर आ गया और हम प्रभातनगर के लिए चल पडे । बहुत ही अच्छा हुआ कि मेरा फिल्मा का पुराना साथी घर मे मौजूद नहीं था उसकी बीवी थी । चडढे ने मेरी बीवी उसके सुपुद की और कहा, 'खरबूजा खरबूजे को देखकर रग पकडता है। वीवी बीवी को देखकर रग पकडती है, यह हम अभी आकर देनगे। फिर वह मुझसे बोला, चलो मण्टो स्टूडियो में तुम्हारे दोस्त को पडें ।' चडढा कुछ ऐसी अफरा तफरी मचा दिया करता था कि दूमरा को सोचने समझने का वहत कम मौका मिलता था। उसने मेरी बाह पक्डो 138/टोबा टकसिंह