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पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१४५

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थी, जिनसे बाहर का खाली खाली सा भाग नजर अाता था। इधर स किसी ने चडढे का नाम लेकर जोर स पुकारा । मैं चा पडा और देखा कि म्यूजिक डायरेक्टर वनकतरे हैं। कुछ समझ म नहीं पाता था कि वह किस नस्ल का है। मगोल है हब्शी है प्राय है या क्या बला है । कभी कभी उसके किसी नखशिख को देखकर आदमी किसी परिणाम पर पहुचन ही वाला होता था कि उसके बदले में कोई ऐसा चिह्न नजर आ जाता कि तुरत ही नये सिरे से विचार करना पड जाता। वैस वह मराठा था, लेकिन शिवाजी की तीखी नाक के बजाय उसके चेहरे पर वड आश्चयजनक ढग से मुडी हुई चपटी नाक थी जो उसके विचारानुसार उन सुरो के लिए बहुत जरूरी थी, जिनका सीधा सम्ब ध नाक से होता है । उसने मुझे देखा तो चिल्लाया 'मण्टो--मण्टो सेठ । चडढे ने उससे ज्यादा ऊची आवाज मे कहा, 'सेठ की ऐसी तैसी- चरा, अदर ना। वह तुरत अदर आ गया। अपनी जेब से उसन मते हुए रम की एक बोतल निकाली और तिपाई पर रख दी मैं साला उधर मम्मी के पास गया। वह बोला-तुम्हारा फरेण्ड पाए ला मैं बोला-साला यह फ्रण्ड कौन होन को सक्ता साला मालूम न था साला मण्टो है । चडढे न वनक्तरे के कद्द ऐस सिर पर एक धौल जमाई 'अव चुप कर साले तू रम ले प्राया वस ठीक है।' वनक्तरे ने अपना सिर सहलाया और मरा खाली गिलास उठाकर अपने लिए पेग बनाया, 'मण्टो यह साला अाज मिलते ही पहन लगा- --आज पीर को जी चाहता है मैं एक दम क्डका सोचा, क्या करू चडढे न एक और धप्पा उमदे सिर पर जमाया, बैठ व जस तूने सच मुच ही कुछ सोचा होगा। 'सोचा नही तो साला यह इतनी बटी बाटली कहा से आया-तर बाप न दिया ?' बनवतर न एव ही घूट म रम खत्म कर दी। चडढेन उसयी बात मुनी अनसुनी कर दी और उसन पूछा, तू यह ता बता दि मम्मी क्या बोली-बोली थी कि मोजेल क्व माएगी? परहा वह प्लटीनम तौण्ड1 , 142/टाया टवमिह