पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१४७

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एक्दम उठा : सपालियो पो ऐसी तसी | मैं जगराती हो गया है ।

पनपतर न बड भोपास पूसा, यह क्या होता है ?

मण्टीमटल पहनु न जवाब दिया , लेपिन तू क्या समभगा बालाजी याजीराव और नाना पडनवीम की मौलाद

वनातर ने प्रपा लिए एप मौर पर बनाया पोर मुभम सपोषित होमर कहा यह माला चड्दा समझा है कि मैं इगलि नहीं समझता हूँ । मैंट्रीक्यूलर है साला मरा गप मुभम बहुत मोहव्यत ररता था उसन ।

चडढेन चिदार यहा, उसन तुझे तासन बना दिया और तरी नाय मरीर दी तापि निवाडे सुर प्रासानी स तेरी नाम स निमल सके । बचपन म ही उसन तुझ पुरपद गाना सिसा दिया था और दूध पीन के लिए तू मिया की टोडी म रोया करता था और पेशाब करत वक्त प्रदाना मे , और तून पहली बात पटदीप म की थी भोर तरा बाप जगन उस्ताद या धजू वापर वे भी पान काटता था और तू पाज उमरे कान याटता है इसलिए तरा नाम मनबुतर है । इतना बहार वह मरी पोर मुडा, मण्टो यह माला जय भी पीता है, अपने बाप की तारीफ शुरू कर दता है । वह इसस मोहब्बत करता था तो मुझपर उसन क्या एहसान पिया और उसने इस मटीक्यूलेट बना दिया तो इसका यह मतलब नहीं पि मैं अपनी बी० ए० की डिग्री फाडकर फैन ।

वनस्तर न इस बाधार पर आपत्ति प्रकट करनी चाही, मगर घडढे न उस वही दवा दिया, चुप रह मैं यह चुका है कि म सेण्टीमण्टल हो गया हू हा , वे रग पोमफेट मछली के नही नहीं साप ये नई न हे खपरे स इहीका रग मम्मी न खुदा जान अपनी बीन पर कौन मा राग बजाकर उस नागिन को बाहर निकाला है ।

वनस्तरे सोचने लगा । पेटी मगाओ, मैं बजाता है ।

चडढा खिलखिलाकर हमने लगा, बठ वे मदीक्यूनेट के चामुलेट । " उसने रम की बोतल म स बची हुई रम को अपन गिलास म उडेल लिया

और मुझसे कहा, मण्टो, अगर वह प्लेटीनम ग्लोण्ड न पटी तो चडढा हिमालय पहाड पी किसी चोटी पर धूनी रमागर बठ जाएगा । और

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