पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१४८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

उमने गिनास सालो कर दिया ।

वनकतरन अपनी लाई हुई बोतल सोलनी गुरू पी । मप्टो, मुलगी । एपदम चागली है ।

मन बहा देस लेंगे ।

माज ही प्राज रात में एक पार्टी द रहा है । यह बहुत हीपच्छा हुमा कि तुम मा गए भौर श्री एक सौ पाठ मेहनाजी ने तुम्हारी वगह स एड वास द दिया नही तो बडी मुश्किल हो जाती प्राज रात माज की रात चड 7 बडे भाडे सुरा म गाना शुरु कर दिया , माज की रात साजे दद न छेड ।

बचारा वनस्तर उसकी इम ज्यादती पर एक बार फिर पापत्ति परन ही वाला था कि तभी गरीवनवाज मोर रजीतकुमार मा गए । दोना वे पाम स्याच घी दो दो बोतल थी । वे उहाने मेज पर रप दी । ___ रजीतकुमार स मेर प्रच्छे-मासे सम्बध थे, लेकिन तबल्लुफी नही थी , इसलिए हम दोनो न थोडी सी माप पर पाए ? माज ही पाया ऐमी रम्मी बातें पी पौर गिलाग टपरापर पीन लग गए । __ चडढा वाकई बहुत जज्वानी हो गया था । हर बात म उस प्लेटीनम ब्लोण्ड का जिन ले पाता था । रजीतकुमार दूसरी बोतल का चौथाई हिम्सा चढा गया था । गरीवनवाज ने वाच के तीन पग पिए थे । नो ये मामले में उन सबकी हालत अब तक एक जैसी थी । मैं चूकि ज्यादा पी7 या प्रादी है, इसलिए म ज्या वा त्यो बैठा था । उनकी बातचीत स मैंने अदाजा लगाया पि वे चारा उस नई लडकी पर बहुत बुरी तरह मर मिट ये , जो मम्मी ने वही स पदा की थी । इस अमूल्य मोती का नाम पिलिस था । पून में कोइ झर डेमिंग सलन था , जहा वह नौकरी करती थी । उसके साथ प्राम तौर पर एक हिजडा मा लटवारण वरता था । लडवी की उन चौह-पन्द्रह वप वे करीव थी । गरीबनवाज तो यहा नक उमपर गम या वि वह हैदराबाद में प्रपन हिम की जायदाद वैचवर भी उस दाव पर गान के लिए तैयार था । चडढे के पास तुम्प या देवल

1 लटरी 2 मच्छी

मम्मी / 145