पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१५२

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सार गपन मलियामेट हो गए प्रोटीनम दलोण्ड पौधे साप के न है . नह सपरा जैसे रग वाली । एक्दम उटपर उसने मम्मी को वाही से पकड लिया , कमिन की थी -- प्रान दिल मे बैसिल की थी ना लो , उम पर माद ( मही का चिह्न) या देता है । और उसने मम्मी के दिल पी जगह पर उगली से बहुत बडा माद बना दिया और ऊची मावान म पुकारा हुर । " __ मम्मी साधत लोगा यो सूचना भेज चुकी थी कि पार्टी कसिल हो चुके है । लेकिन मैंन महमूम किया कि वह चडढे का दिल तोडना नहीं चाहती थी । इमलिए उमन बडे लाड में उसके गाल थपथपाए और पहा तुम फिक्र न परो, मैं अभी इतजाम करती है ।

वह इतजाम करन बाहर चली गई । चडढे न खुशी का एक और नारा लगाया और वनक्तरस कहा, जनरल वनस्तर, जामो, हडक्वा टर स सारी तोपें ले प्रायो ।

बनकतर ने सैल्यूट किया और पाना पालन के लिए चला गया । मईद काटज वि . बुल पाम थी । दस मिनट के अन्दर अदर वह बोतलें नेपर वापस आ गया । उसके साथ चडढे का नौकर था । चड्ढे न उसको देगा तो उनका स्वागत किया, प्राप्नो , प्रानो, मेरे फोहकाफ के शहजाद वह वह साप के खपरा जस रग के बालो वाली छोकरी पा रही है तुम भी किस्मत आजमाई कर लेना ।

रजीतकुमार और गरीनिवाज को चडढे का इस प्रकार का निमत्रण अच्छा न लगा । दोना न मुभमे कहा कि यह चडळे को बहुत बेहूदगी है । इस बहूदगी को उहान बहुत महसूम किया था । चड्ढा नियमानुसार अपनी हापता रहा और वे चुपचाप एक कोने म बठे धीरे धीर रम पीकर एक दूमर से अपन सुख दुख की बातें करत रहे ।

मैं मम्मी के सम्म ध म मोचता रहा । डाइगरूम में गरीवनवाज , रजीतकुमार पौर चडढा वठे थे । ऐसा लगता था कि ये छोटे छोट बच्चे बैठे है और इनकी मा बाहर सिलीन लेन गई है । ये सब इतजार में हैं । चड्ढा सतुष्ट है कि सबसे अच्छा खिलौना उस मिलेगा, इसलिए कि वह अपनी मा का चहेता है । वाकी दो का दुस चूकि एक जैसा था , इसलिए

मम्मी | 149