पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१५१

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जितनी चीजें हैं , वे अाज की नही बहुत वर्षों की है कवल मम्मी प्राग निकलकर बूढी हो गई है और वे वसी की वैसी पड़ी रही हैं उनकी जो उम्र थी , वह वही की वही रही है लेकिन जब मैंन उसके गहर और शोख मेकअप की ओर देखा तो मेरे दित मन जाने क्या , यह इच्छा पदा हुई कि वह भी अपने इद गिद के वातावरण की तरह पूरी तरह जबान बन जाए ।

चढे ने उससे मेरा परिचय कराया जो वहन सक्षिप्त था और फिर सभेप म ही उसन मुझम मम्मी के बारे में यह कहा, यह मम्मी है । ग्रट मम्मी ।

मम्मी अपनी प्रशसा सुनकर मुस्करा दी और मरी तरफ दसकर उसने चडढे से अंग्रेजी मे कहा, तुमने जो चाय मगवाई थी वह बहुत जल्दी मे बनी थी वह शायद इहे पम द न पाइ हो । फिर उसने मेरी प्रार मुडकर कहा मिस्टर मण्टो मैं बहुत शमि दा हू । असल में सारा कुसूर तुम्हारे दोस्त चडदया है , जो मेरा वेहद विगडा हुअा लडका है । ___ मैंन उचित शब्दो मे चाय को प्रशसा का और उसको धयवाद दिया । मम्मी ने मुझे बेकार की तारीफ परन के लिए कहा और फिर चढे से बोली , रात का खाना तैयार है यह मैंने इसलिए किया कि तुम एन वक्त के वक्त मेरे सिर पर सवार हो जाग्राग । ___ चडढे ने मम्मी को गल से लगा लिया , यू आर ए ज्यूल मम्मी । यह खाना अब हम खाएगे । ____ मम्मी ने चौंकर पूछा , क्या ? नहीं हरगिज नही । चडढेन उसे बताया मिसज मण्टा को हम प्रभातनगर छोड पाए है ।

मम्मी चिल्लाई खुदा तुम्ह गारत कर यह तुमने क्या क्यिा । चडढा खिलखिलाकर हमा , माज पार्टी जो होने वाली थी । ___ वह तो मैंन मिस्टर मण्टो को दपत ही अपने दिल म कपिल कर दी थी । मम्मी ने अपना मिगरेट सुनगाया । ___ घडढे का दित डूब गया । खुटा अब तुम्ह गारत पर और यह सब प्लान हमने इम पार्टी के लिए बनाया था । वह कुर्मी पर रजीनामा होकर बैठ गया और कमर वे पण कण म सम्बोधन कर कहन लगा लो ,

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