पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१५७

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कि सारी उम्र उसके पैर कभी उसके भाव अदा नहीं कर सरेंगे, लेकिन यह उसको बताए जा रहा था । थलिमा भी अच्छी तरह जानती थी कि वह बेकार अपना और वनक्तरे का समय बरबाद कर रही है मगर वह बडी लगन और तमयता से पाठ याद कर रही थी । एलिमा और विटी दोना पिए जा रही थी और मापस मे किसी ऐसे प्रादमी की बातचीत कर रही थी ,जिसने पिछली रेस में खुदा जाने कब का बदला लेने के लिए गलत टिप दी थी । और चड्ढा फिलिस के बपरे ऐसे रग के बालो को पिघले हुए सोने के रग की काच में मिला मिलाकर पी रहा था । फिलिस का हिजडा- सा दोस्त बार-बार जेब से कधी निकालता था और अपने बाल सवारता था । मम्मी कभी इससे बात करती थी , कभी उससे , कभी सोडा खुलवाती, कभी टूटे हुए गितास के टुकडे उठवाती उसकी नजर सबपर थी , उस बिल्ली की तरह जा दखने मे तो अपनी प्रारों बद किए सुस्ता रही होती है, लेकिन उसको मालूम होता है कि उसके पाचो बच्चे कहा पहा है और क्या - क्या शरारत कर रहे हैं ।

इम दिलचस्प चित्र म कौन मा रग , कौन सी रेखा गलत थी ? मम्मी का वह भडकीला और शाख मेकअप भी एसा मालम होना था कि उस चित्र का एक प्रावश्यक प्रग है । गालिब कहता है

कैदे हयात मोबदे-गमः अस्ल मे दोनों एक हैं ,

मौत से पहले प्रादमी गम से निजात पाए क्यो ? पदे हयात और बदे- गम जब वास्तव में एक ही हैं तो यह क्या जरूरी है कि प्रादमी मौत से पहले थोड़ी देर के लिए नि त हासिल करन की कोशिश न करे । इस निजात के लिए कौन यमराज का इन्तजार करे क्यो आदमी थोडेसे क्षणो के लिए पात्मप्रवचना के दिलचस्प खेल मे भाग न ले ।

मम्मी हरकिसीकी प्रासा करना जानती थी । उसके सीने म ऐमा दिल था , जिसम उन सबके लिए ममता था । मैंने सोचा, शायद इसलिए

1 जीवनरूपी

या गम की पर 2 मुक्ति

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