पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१६०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

कमरे म जाकर बडी मज पर सो गया ।

सुबह देर स उठा । घडी म दस बज रह थे । चडढा सुबह ही मुबह उठकर बाहर चला गया था । यहा, यह विमीको मालूम नही था , किन जब मैं गुमनखाने से बाहर निकल रहा था तो मैंने उसको आवाज सुनी जो गैरेज स बाहर पा रही थी । मैं हा गया । यह किमीस कर रहा था , वह लाजवाव प्रारत है सुदा की कमम, बडी लाजवान औरत है । दुपा पगे कि उसकी उम्र को पहुचकर तुम भी वैसी ही ग्रेट हो जानो ।

उसवे म्यर में एक निचित्र प्रकार की कटुता थी । पता नहीं उसका रख उमकी अपनी ओर था या उम व्यक्ति की प्रार निसस वह सम्बोधित था । मैंन अधिक दर तक वहावे रहना ठीक न समझा और अदर चला गया । प्राधे घट तक मैंन उमा इतजार किया । जब वह न पाया तो मैं प्रभातनगर चला गया । ____ मेरी बीवी का मिजाज ठीक था - -हरीश घर में नहीं था । हरीश की वीवी न उसके वार मे पूछा तो मैंन कह दिया , वह अभी स्टूडियो मे मो रहा है ।

पून मे काफी तफरीह हो गई थी , इमलिए मैंने हरी की बीवी मे जान की इजाजत मागी । शिष्टाचार के नाते उसन हमे रक्न का कहा , लेकिन मैं सईदा पाटज म ही फैमला करक चला था कि रात की घटना मेरी मानसिक जुगाली के लिए बहुत काफी है ।

हम चल दिए । रास्ते म मम्मी से बातें हुई । जो कुछ हुअा था मैंन बीवी को सब कुछ बता दिया । उसका कहना था कि फिलिस उमकी कोई रिश्तेदार होगी या वह उसे किसी अच्छी असामी को पेश करना चाहती होगी तभी उमा चडदे स लडाई की मैं चुप रहा । न समथन क्यिा , न विरोव । ____ कईदिन गुजरने पर चड्ढे का पनाया , जिममे उस रात की घटना का सरसरी मा जिक्र था और उसने अपन बारे मे यह कहा था , मैं उस दिन जानवर बन गया था - नानन हो मुभपर । ___ तीन महीन बाद मुझे एक जरूरी काम मे पूना जाना पड़ा । सीधा सईटा काटेज पहुवा । चडढा मौजूद नहीं था । गरीवनवाज से उस समय

मम्मी / 157