पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१६१

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मुलाकात हुई, जब वह गरेज से निकलकर शोरी के नन्ह बच्चे को प्यार कर रहा था । वह बडे तपाक से मिला । थोडी दर बाद रजीतकुमार मा गया , क्छुए की चाल चलता और चुपचाप बैठ गया । मैं अगर उसस कुछ पछता था तो वह बड़े मक्षेप म उत्तर ददता था । उसस वातो-बातो में मालम हुमा कि चडढा उस रात के बाद मम्मी के पास नहीं गया मौरन कभी वह महा पाई है । फिलिस को उसने दूसर दिन ही अपने मा बाप के पास भिजवा दिया था । वह उस हिजडा जैम लइक के साथ घर से भागकर आई हुई थी । रजीतकुमार का विश्वास था कि अगर वह कुछ दिन और पूना में रहती तो वह जरूर उस ले उडता । गरीबनवाज या ऐमा कोई दावा नही था । केवल इतना अपसोस था कि वह चली गई । ___ चड के बारे में पह पता चला कि दो -तीन दिन म उसकी तबीयत ठीक नहीं है, बुखार रहता है लेकिन वह किमी डाक्टर म राय नहीं लेता - सारा दिन इधर उधर घूमता रहता है । गरीबनवाज न जब मुझे य बातें बताना शुरू की तो रजीतकुमार उठकर चला गया । मैंने मलाया वाली कोठरी म स देखा उसारख गैरेज को मोर था ।

मैं गरीवनवाज स गैरेग वाली शोरी के सम्बप से कुछ पूछताछ वरन पे बार म सोच हो रहा था कि वनक्तरे वहा घबराया हुमा यमर म दाखिल हुमा । उसस मालूम हुमा वि चहः यो तज सुमार था । वह उस ताग में वहा ला रहा था कि वह रास्त म हो गया में और गरीवनमाज बाहर दौडे । तांग वाला बहो । घडर यो गभाल हुए था । हम सबन मिलर उस उठाया और कमरे म पवार विस्तर पर लिटा दिया । मैंन उसने माय पर हाय रखर दसा , सचमुच बहुत तन युगार पा । एक मौ ४ डिग्री सपमान होगा ।

मैंने गरीबनवान समहा, पौरपाटर से बुताना चाहिए । उमन पारतर म मदिरा पिया मोर भी माना है महार पाहर पता गया । जय यापम माया त उगा साप मम्मी पी , जोहार रही थी । पर पुमत ही उन पर की भोर दसा पोर तगमग पोगकर पूछा , गया हया मर रटेको "

पनाहर न जब मनापापिईदिन म बीमार पानी

158 /ोरादेगा