पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१६३

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इतना कहा, मेरे बेटे मेरे गरीब बट ।

चड्डे की पासा मे पासू पा गए, लेकिन तुरत ही उमने उह सोखने की कोशिश की और कहा, नहीं, तुम्हारा बेटा अपत दर्जे का काउल है जामो, अपने मन पति का पिस्तौल लामो और उसकी छाती पर दाग दो ।

मम्मी न चडढे गाल पर वीर से तमाचा मारा, वकार की बातें न करो । फिर वह चुस्त चालाक नस की तरह उठी और हम सबकी ओर मुडवर पहा लडको, चडडा बीमार है और इसको हास्पीटन ले जाना है - समझे ?

सब समझ गए । गरीबनवाज ने तुगत टेक्सी का बटोबस्त कर दिया । घडटे को उठाकर उसमे डाला गया । वह बहुत बहता रहा कि ऐसी कौन मी मापन आ गई है जो मुझे अस्पताल के सुपुद किया जा रहा है, लेकिन मम्मी यही कहती रही कि यात कुछ भी नही , अस्पताल में जरा पाराम रहता है । चडढा बहुत जिद्दी था , लकिन इस समय वह मम्मी की किसी बात से इकार नहीं कर सकता था । ___ चडढा अस्पताल मे दासिन हो गया । मम्मी ने अदेने में मुझे बताया कि मन बहुत खतरनाक है. यानी प्लेग । यह सुनकर मेरे होश उड गए । स्वय मम्मी बहुत परेशान थी लेकिन उसको भागा थी कि यह बला टल जाएगी और चडढा बहुत जल्द स्वस्थ हो जाएगा ।

इलाज होता रहा । प्राइवट अस्पताल था । डाक्टरान चडका इलाज बहुत ध्यान स किया लेविन पई पेचीदगिया पदा हो गई । उसकी त्वचा जगह- जगह स फ्टन नगी और सुधार वरना गया । मन में डाक्टरों ने यह राय दी कि उम बम्बई ले जाया जाए, लेचिन मम्मीन माती । उसने चडढेको उसी हालत म उठाया और अपन घर ले गई ।

मैं ज्यादा दिन पूना म नहीं रुक सकता था । वापस बम्बइ प्राया ता मैंन टेलीफोन के जरिये कई बार उमका हाल मालम किया । मरासयाल था कि वह विमी पवार भी जीवित न बच सवेगा, सचिन मुझे मालूम हुमानिधारे धीर उगली हात मभल रही है । एक मुक्दम व सिलमिल में मुझे लाहौर जाना पड़ा । वहा से पदह गिन के बाद लौटा तो मरी

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