पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१७६

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जानना चाहा तो उसने कहा, मुझे नीद आ रही है । और वह विस्तर पर लेट गया ।

मुबह उठकर मैं गुसलखाने म गया । बाहर निकला तो देखा कि गरीवनवाज गरेज के टाट के साथ लगा खडा है और रो रहा है । मुझे देख कर वह प्रासू पोछता वहा से हट गया । मैंने पास जाकर उसमे रोने का कारण पूछा तो उसने कहा, मम्मी चली गई ।

कहा ? "

मालूम नहीं । यह कहकर गरीवनवाज सडक की ओर चला गया ।

चडटा बिस्तर पर लेटा था । ऐसा मालूम होता था कि वह एक क्षण के लिए भी नहीं सोया था । मैंने उसमे मम्मी के बारे में पूछा तो उसने मुम्कराकर कहा, चली गई, सुबह की गाडी से उसे पूना छोडना या । _ मैंन पूछा, लेकिन क्यो ?

चडढे के स्वर मे क्टुता आ गई हुकूमत को उसकी अदाए पसद नही थी - उसका रग ढग पसद नही था । उसके घर की महफ्लेिं उसकी नजरो म प्रापत्तिजनक थी । इसलिए कि पुलिस उसके स्नेह और ममता को भ्रष्टाचार के रूप मे लेना चाहती थी वे उसे मा कहकर उससे एक दलाल का काम लेना चाहते थे एक समय से उसके एक केस की छान वीन हो रही थी । आखिर सरकार पुलिस की छानबीन से सहमत हो गई और उसको तडीपार कर दिया । इस शहर से निकाल दिया वह अगर वेश्या थी , या दलाला थी - उसकी मौजूदगी अगर समाज के लिए हानि वारक थी तो उसका खात्मा कर देना चाहिए था पून की गदगी में यह क्यो कहा गया कि तुम यहा से चली जाग्यो और जहा चाहो ढेर हो सकती हो ? चडढे ने बडे जोर से कहकहा लगाया और थोडी देर चुप रहा । फिर उसने बडे भावुक स्वर में कहा मुझे दुख है मण्टो कि उम गदगी के माथ ऐमी पवित्रता चली गई है जिसने उस रात मेरी एक वडी गलत और गदी तरग को मेरे दिलोदिमाग से निकाल दिया था लेकिन मुझे अफ्मोस नहीं होना चाहिए - वह पूना से चली गई - मुझ जैसे जवाना में ऐसी गलत और गदी तरगें वहा भी प दा होगी, जहा वह अपना घर बनाएगी मैं अपनी मम्मी उनके सुपुद करता हू जिदाबाद मम्मी

मम्मी / 173