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पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१७५

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और बटर वनक्तरे वे बद्द, जैम सिर पर पप्पा मासर कहा, वक्वाम बद पर उठ और कुछ गा लेकिन सवरदार, अगर तून कोई पक्का राग गाया ।

वनक्तरे न तुरत गाना गुरु कर दिया । पावाज अच्छी नहीं थी । मुफिया की बारीषिया उसके गले स निकलती थी , लेकिन जो कुछ गाता था , पूरी त मयता से गाता था । मालकोश म उसनदा तीन फिल्मी गाने सुनाए, जिनसे वातावरण बहुत उदास हो गया । मम्मी और चडढा एक दूसरे की ओर दसते थे और नजरें क्सिी और तरफ हटा लेते थे गरीवनवाज इतना प्रभावित हुना कि उसको पासा म पासू आ गए । चड्ढे ने जोर का कहनहा लगाया और कहा, हैदरावाद वाला की पाख का मसाना बहुत कमजोर होता है - मौके मौके टपकने लगता है । ___ गरीवनवाज न अपने आसू पाछे और एलिमा के साथ नाचना शुरू कर दिया । वनक्तरे ने ग्रामोफोन के तवे पर रिकाड रखकर सुई लगा दी । घिसी हुई टयून बजने लगी । चड्ढे ने मम्मी को फिर गोद मे उठा लिया

और कूद कूदकर शोर मचाने लगा । उसका गला बैठ गया था , उन मीरा सिया की तरह, जो शादी ब्याह के मौके पर ऊचे सुरो में गा गाकर अपनी मावाज का नाश मार लेते हैं ।

उस उछल -कूद और चीस दहाड में चार बज गए । मम्मी एक्दम चुप हो गई । फिर उसने चड्ढे की ओर मुडकर कहा बस अब खत्म । "

चड्ढे न बोतल स मुह लगाया और उस साली करके एक और फेक दिया और मुझसे कहा, चलो मण्टो , चलें । ___ मैंने उठकर मम्मी से इजाजत लेनी चाही कि चड्ढे ने मुझे अपनी पोर खीच लिया, आज कोई विदाई नही लेगा ।

हम दोना बाहर निकल रहे थे कि मैंने वाकतरे के रोने की आवाज सुनी । मैंने चड्ढे स पहा, ठहरो, देखें क्या बात है । मगर वह मुझे धकेलकर आगे ले गया । उस साले की आखा का मसाना भी कमजोर

मम्मी के घर मे सईदा पाटेज विलकुल निकट थी । रास्ते में चढ़े ने कोई बात न की । सोने से पहले मैंने उससे इस विचित्र पार्टी के बारे में

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