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पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/१७९

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कल्लन को एक बात सूझी । उसने कोठे पर कोन म, अपनी और अपनी बीवी की चारपाई के इद गिद, टाट तान दिया । इस तरह पर्दे का इन्तजाम हो गया । कल्लन को देखा देखी दूसरा ने भी इस तरकीब स काम लिया । भोलू ने भाई को मदद की और कुछ ही दिनो मे वास वगरा लगाकर, टाट और कम्बल जोडकर, पर्दे का इतजाम कर दिया । या हवा तो रुक जाती थी , पर नीचे क्वाटर के नरक से हर हालत में यह जगह अच्छी थी ।

ऊपर कोठे पर सोन से भोलू की तबीयत में एक अजीव वदलाव आ गया । वह शादी-ब्याह का बिलकुल कायल नहीं था । उसने मन म ठान रखी थी कि यह जजाल कभी नही पालेगा । जब कभी गामा उसकै व्याह की बात छेडता तो वह कहा करता, ना भाई, मैं यह जजाल नही पालना चाहता । अपने शरीर पर जा नही लगवाना चाहता । लेकिन जब गर्मिया आई और उसने ऊपर खाट बिछाकर सोना शुरू किया तो दस पद्रह दिन ही म उसके विचार बदल गए । एक शाम को दीने के भटियारखान म उसने अपने भाई से कहा, मेरी शादी कर दो , नहीं तो मैं पागल हो जाऊगा ।

गामा ने जब यह सुना तो उसने कहा, यह क्या मजाक सूझा है तुम्हें ?

भोलू बहुत गम्भीर हो गया । वोला, तुम्ह नहीं मालूम पद्रह रातें हो गई हैं मुझे जागत हुए ।

क्यो , क्या हुआ ? गामा ने पूछा ।

कुछ नही यार दायें - या जिधर नजर डालो , कुछ न कुछ हो रहा होता है अजीब - अजीय आवाजें आती हैं । नीद क्या प्राएगी सार ।

गामा जोर से अपनी घनी मूछा म हसा ।

भोलू शरमा गया । फिर बोला, वह जो बल्लन है, उसने तो हद ही पर दी है माला रात भर बक्वास करता रहता है साली उसकी बीवी भी जबान तालू स नहीं लगती बच्चे पडे रो रह हैं पर यह

गामा हमेशा की तरह नीम था । भोनू चला गया तो उसने दीन व भटियारखाने म प्रपन सब यार-दास्ता पो चहा चहावर बताया कि उसके भाई को माजाल नाद नही माती । इसकी वजह जब उमन प्रपन

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