पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/२१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

गोरे ने जवाब दिया-'हीरा मण्डी।' 'किराया पाच स्पया होगा।' उस्ताद मगू की मूछे थरथराइ । यह सुनकर गोरा हैरान हो गया। वह चिल्लाया, 'पाच रुपये | क्या टुम 7 " 'हा-हा, पाच रुपये।' यह कहते हुए उस्ताद मगू के बाला भरे दाहिने हाथ न भिचकर एक भारी घूस का रूप ले लिया। 'क्यो, जात हो या चेकार वातें बनानोगे,' उस्ताद मगू का लहजा और भी ज्यादा सरत हो गया। गोरा पिछले वर्ष की घटना का खयाल करके उस्ताद मगू के सीने की चौडाई नजरदान कर चुका था। वह सोच रहा था-इसकी खोपडी फिर खजला रही है। हौसला बताने वाले इन खयाल के तहत वह नाग की ओर 'अकडकर बढा और अपनी छडी से उसन उस्ताद मगू को तागे से नीचे उत- रन का इशारा दिया। बेंत की वह पालिा की हुई पतली मी छडी उम्ताद मगू की मोटी रान के माथ दो-तीन बार छुई । उसने खडे खडे नाटे कद के गोर का पर से नीचे देखा जैसे वह अपनी निगाहा के भार ही स उसे पीस डालना चाहता हो । फिर उसका घूसा, क्मान मे तीर की तरह ऊपर को उठा और पतक भपक्ते ही गोरे की ठाडो के नीचे जम गया। धक्का देकर उसन गोरे को परे हटाया और नीचे उतरकर उस धडाधड पीटना शुरू कर दिया। गोरा हक्का बक्का रह गया और उसन इधर उधर सिमरकर उस्ताद मगू के वजनी घसा से बचने की कोशिश की और जब देखा कि उस्ताद मगू की हालत पागलो मी हो गई है और उसकी प्राखा से अगार बरस रहे हैं तो उमन जोर जोर म चिल्लाना शुरू किया। उस चीख पुकार न उस्ताद मगू को बाहा का काम और भी तज कर दिया। वह गार को जी भरके पीट रहा था और साथ साथ यह कहता जाता था 'पहली अप्रैल को भी वही अक्र फू पहली अप्रल को भी वही अक्ड पर हमारा राज है उच्चा। लोग जमा हो गए और पुलिस के दो सिपाहिया ने बरी मुश्किल से 20/टोरा टव सिह