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पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/२१३

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होकर वह उस तागे पर वापस अरव गली या जाता था और पिसी ईरानी वे होटल में बैठकर अपने शिष्या के साथ गत और वनोट की वाता म निमग्न हो जाता था। मरी खोली के साथ ही एक और खोली थी जिमम मारवाड का एक मुसलमान नतर रहता था। उसन मुझे ममद भाई की सैकडा कहानिया मुनाइ--उसन मुझे बताया कि ममद भाई लास रपय का आदमी है। एक बार उमेदैजा हो गया था। ममद भाई को पता चला तो उसने फारस रोड के सबके सब डास्टर उसकी खाली म इक्टठे कर दिये और उनसे कहा, दखो, अगर अाशिक हुसन को कुछ हो गया तो म तुम सब का मफाया कर दूगा आशिक हुसैन ने बडे प्रादरपूण स्वर म मुझस कहा-'मटो साहन । ममद भाई फरिश्ता है--फरिश्ता। जब उसन डाक्टरों को धमकी दी तो वे सब वापन लगे । ऐसा लगकर इलाज किया कि मैं दो ही दिन में ठीक-ठाक हो गया। ममद भाई के सम्बध मे अरब गली के गद और बेहूदा रेस्टोरामा मे मैं और भी बहुत कुछ सुन चुका था। एक व्यक्ति ने जो शायद उसका मिप्य था और स्वय को बहुत बडा फकेन समझता था, मुझसे कहा था कि ममद भाई अपन नफे मे एक ऐसा आबदार खजर हमेशा उडसकर रखता है जो उस्तरे की तरह शेव भी कर सकता है और यह खजर म्यान मे नही होता-सुला रहता है-बिल्कुल नगा और वह भी उसके पेट के माथ। उसकी नोक इतनी तीखी है कि यदि बातें करते हुए झुकते हुए उससे जरा सी गलती हो जाय तो ममद भाई का एकदम काम तमाम हो जाय। प्रत्यक्ष है कि उसको देखने और उममे मिलन की उत्सुक्ता दिन प्रतिदिन मेरे मन में बढ़ती गई। मालूम नहीं, मैंन अपनी कल्पना मे उसके चेहर मोहर का क्या रेखाचित्र बनाया था। जो हो, इतने समय के बाद मुझ वल इतना स्मरण है कि मैं एक देवकाय व्यक्ति को अपनी मानसिक पाखा के सामने देखता था जिसका नाम ममद भाई था-उस प्रकार वा व्यक्ति जो हरक्युलिस साइक्लिा पर विनापन स्वरूप दिया जाता है। मैं सुबह सवेरे अपने काम पर निकल जाता था और रात के दस बजे 210/ टोबा टवसिंह