पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/२२०

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का प्रत्येक नयन-नक्श अच्छी तरह देख चुका था। जैसा कि मैं इससे पहले कह चुका हूँ, वह छरहरे बदन का व्यक्ति था। प्रायु यही पच्चीस-तीस के बीच होगी, पतली पतली बाहें, टागें भी 'ऐसी ही थी। हाथ बला के पुर्तीले थे । उनसे जब वह छोटा सा तेज-धार चाकू विमी शत्रु पर फेंक्ता था तो वह सीधा उसके दिल मे खुबता था-- यह मुझे अरव गली के लोगो ने बताया था । उसके सम्बध मे अनगिनत वातें प्रसिद्ध थी। उसने क्सिीको कत्ल क्यिा था यह तो मैं नहीं कह सकता, हा, छुरीमार वह कमाल का था, बनोट और गतके मे प्रवीण । सब कहते थे कि वह सैक्डो हत्याए कर चुका है लेकिन मैं यह अब भी मानने को तैयार नहीं। लेकिन जब मैं उसके खजर के बारे मे सोचता हू तो मेरे तन बदन मे झुरझुरी सी दौड जाती है। यह भयानक हथियार वह क्यो हर ममय अपनी सलवार के नफे मे उडसे रहता है ? मैं जब अच्छा हो गया तो एक दिन अरब गली के एक थड क्लास चीनी रस्टोरा म मेरी उसस मुलाकात हुई-~वह अपना वही खजर निकालकर अपने नाखून काट रहा था-मैन उसस पूछा-'ममद भाई । आजकल वदूध पिस्तौल का जमाना है—तुम यह सजर क्या निए फिरत हो" ममद भाई ने अपनी कटीली मूछो पर एक गरी फेरी और कहा- विम्टो भाई बदूक पिस्तौल मे कोई मजा नही--उ ह कोई बच्चा नी चला सकता है। घोडा दबाया और ठस इसम क्या मजा है ? यह चीज यह खजर यह छुरी यह चाकू मजा आता है ना, खुदा की क्सम -यह वह है तुम क्या कहा करत हो ? हा प्राट इसम पाट है मेरी जान | जिस चाक् या छुरी चलाने का प्राट न आता हो, वह एक्दम कडम है-पिस्तोल क्या है, सिलौना है जो नुकसान पहुंचा सकता है, पर इसम क्या लुत्फ प्राता है-कुछ भी नही-तुम यह खजर देखो-इसकी तेज धार देखो।' यह कहते हुए उसने अगूठे पर थूक लगाया और अगूठा उसकी धार पर फेरा, इससे धमाका नहीं होता-बस, यो पेट के अदर ‘दाखिल कर दो-इस सफाई से कि किसी माले को मालूम भी न हो

ममद भाई /217