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पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/२२१

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वदूर पिस्तौल सब बक्वाम है । ममद भाई से अब मेरी हर रोज क्सिी-न क्सिी समय मुलाकात होती थी। मैं उसका आभारी था लेकिन जब मैं इसका जिक्र करता था तो वह नाराज हो जाता था- कहता था कि 'मैंन तुमपर कोई एहसान नहीं किया यह तो मेग फज था।' जब मैंन कुछ खोज पडताल की तो मुझे मालूम हुमा विवह फारम रोड के इलाके का एक प्रकार का शामय था-~एमा वामक जो प्रत्यय व्यक्ति की देख रेख करता था। कोई बीमार हो किसीका कोई कष्ट हो, ममद भाइ उसके पाम पहुच जाता था और यह उसकी मा० ग्राई० डी० का काम था जो उस हर बाा रा सूचित रखती थी। वह 'दादा अर्थात् एक सतरनार गुडा-लपिन मेरी समझ में भर भी नहीं पाता कि वह किम स्प स गुडा था। मैंन तो कभी उसम कोई गुडापन नहीं देखा बस एप उसकी मूछे जर ऐसी थी जो उस भयावह बनाए रखती थी। लेकिन उस उनस प्यार था। वह उनका युछ इम प्रकार पालन करता था जैम कोई अपन वच्चे पीपर। उमकी भूछा का एक एस वाल पडा था-मुझे विसी न यताया पा नि ममद भाई हर रोज अपनी मूडा को वालाई सिलाता है । जर गाना साता है तो गोरखा भरी उगलिया में अपनी मूछे जार मरोडता है यया कि, युजुर्गों के कपनानुमार, यो वालो मक्ति माती है। मैं इसस पहले शायद वई वार पर घुया हु मि उमी मूळ वठी भयानक थी~~यास्तव म उन मूछो या नाम ही ममद भाई था-या उरा गजर का जो उसषी तग घेरे की सलवार वे नेपे म हर समय मौजूद रहता था-मुझे इन दोना चीजा सहर लगता था, न जान यया । ममद भाई यो तो उस इसावे या बहुत बहा दारा पा सेपिन वह सवमा गुभचिन्नय था। माम नहीं मि उमपी प्राय में क्या साधन पे सेपिन जिम विगीयो महायता की प्राव ययता होती थी यह प्रयास उममी महायता मरता था। प्रग इसाये मी समस्त ययाएं उग पता गुर माती थी। पूपि " एप मा पा गुहा पा इमति माय यप पा मिउगरा गम्य प यहां की पिगी ये या सहाला, सरिन मुझे पता पता 218/टोरा सिमित