पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/२२६

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पहा, 'कोई बात नहीं ममद भाई-यहा नहीं तो पिसी और जगह सही।' . उसने समस्त जगहा को अनगिनत गालिया दी-'साला-अप्पन यो यह गम नहीं-यहा रह या किसी और जगह रह-~~यह साला मूछ क्या मुडवाई। फिर उसन उन लोगा को जिहांने उसपो मूछे मुडवाने का मागविरा दिया था, एक करोड गालिया दी और पहा, 'साला अगर मुझे 'तडी पाड ही होना था तो मूछा के साथ क्यो न हुया 1 मुझे इसी भा गई-वह लाल भभूया हो गया-'साला तुम कमा आदमी है विम्टो-हम सच कहना है मुदा की क्सम-पासा लगा देते पर यह ववकूफी तो हमन मुद को आज तक किसीसे नही डरा था माला अपनी मूछा से डर गया।' यह कहकर उसन अपने मुह पर दोहत्तड मारा और चिल्लाकर बोला, 'ममद भाई, लानत है तुझ पर--- साला-अपनी मूछा म डर गया-~प्रय जा अपनी मा के और उसकी पाखा मे प्रासू पा गए जा उसकी मूछा मे साली चेहरे पर कुछ विचित्र दिसाई देते थे। ०००