पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/२७

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-- हुमा, साला वह बिल्ला हो गया, जो उसके निस्तर पर हर समय ऊपता रहता है और क्या। अब उसे विश्वास हान लगा कि सचमुच उसका अपमान हुआ है । वह मद था और अनजान ही उसको इस बात की प्राशा थी कि औरतें, चाहे शरीफ हा चाहे बाजारू, उसको मद ही समझेगी और उसके और अपन बीच वह पर्दा कायम रखेंगी जो एक मुद्दत से चला आ रहा है । वह तो सिफ यह पता लगाने के लिए कान्ता के यहा गया था कि वह कब तक मकान बदल रही है और कहा जा रही है । काता के पास उसका जाना विलकुल विजनस से सम्बधित था। अगर खुशिया का ता वे वार मे सोचता कि जब वह उसका दरवाजा खटखटाएगा तो वह अदर क्या कर रही होगी तो उसकी कल्पना में ज्यादा से ज्यादा इतनी ही बातें आ सकती थी -मिर पर पट्टी बाधे लेटी होगी। -बिल्ले के बालो से पिस्सू निकाल रही होगी। -उस वाल-सफा पाउडर से अपनी बगला के वाल उडा रही होगी, जो इतनी वास मारता था कि खुशिया की नाक बर्दाश्त नही कर सकती थी। -पलग पर अकेली बैठी ताश फलाए पेश स खेलने में मशगूल होगी। बस इतनी चीजें थी, जो उसके दिमाग में आती। घर में वह क्मिीको रखती न थी इसलिए इस बात का खयाल ही नहीं आ सकता था। पर खुनिया ने तो यह सोचा ही न था। वह तो काम से वहा गया था कि प्रचा नक वाता-यानी पडे पहनने वाली वाता-~-मतलब यह कि वह कान्ता, जिसको वह हमेशा कपडाम देखा करता था उसके सामने विलकुल नगी सडी हो गई-बिलकुल नगी ही समझो, क्योकि एक छोटा सातोलिया सब कुछ तो छिपा नही सक्ता। खुशिया को यह दश्य देखकर ऐमा महसूस हुमा था जैम छिलका उसके हाथ म रह गया है और केले का गूदा विद्यार उसके सामने या गिरा है । नही उसे कुछ और ही महसूस हुआ था जो वह गुद नगा हो गया है। अगर बात यही तक खत्म हो जाती तो युछ भी न होता। मुगिया अपनी हैरत को किसी न क्मिी हीले से दूर कर देता। मगर यहा मुसीवत यह मान पडी थी कि उस लोण्डिया ने मुसरा 26/टोपा टपसिंह