पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/२९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

उसो एप एमी अगडाई नही लेनी चाही थी, जिसस उसकी हडिया तक चटपन लगें ? फिर क्या वजह थी कि मगलौर की उस सावली छोकरी न उमयो मद न समझा और मिफ गिफ सुशिया समभकर उसको अपना सब कुछ दसन दिया? उमन गुस्से म प्रायर पान की गाढी पीक थूर दी, जिसा पुटपाथ पर यई बल बूट वा दिए। पीक थूक्पर वह उठा और ट्राम म बैठकर अपने घर चला गया। घर मे उसने नहा धाकर नई धोती पहनी। जिस विल्डिंग म वह रहता था उसकी एक दुकान मे सैलून था। उसके अदर जाकर उसन पाइने के सामन अपन वाला मे घी की। फिर एकाएक कुछ स्वयाल आया तो वह कुर्सी पर बैठ गया और बडी गम्भीरता से उसन नाई स दादी मूडने के लिए कहा । प्राज चूकि वह दूसरी बार दाढी मुडवा रहा था, इसलिए नाई न कहा, 'पर भाई सुशिया, भूल गए क्या ? सुबह मैंने ही तो तुम्हारी दानी मूडी थी।' इसपर खुशिया ने बडी शान मे दाढी पर उल्टा हाथ फेरते हुए कहा, 'खूटी अच्छी तरह नहीं निकली ।' अच्छी तरह खूटी निकलवाकर और चेहरे पर पाउडर मलवाकर, वह सलून से बाहर निकला । सामने टैक्मियो का अड्डा था । बम्बइ क खास अदाज मे उमने शी शी से एक टक्सी ड्राइवर को अपनी पार आकृष्ट किया और उगली के इशारे से उसे टकमी लाने क लिए कहा। जब वह टक्मी मे बैठ गया तो ड्राइवर ने घूमकर उससे पूछा, 'कहा जाना है साव?' इन चार शब्गे ने और खास तौर पर 'साव' शब्द न खुशिया को सचमुच खुश कर दिया । मुस्कराकर उसने बडे दोस्ताना लहजे मे जवाब दिया बताएगे। पहल हम आपेरा हाउस की तरफ चलो-लेमिंग्टन रोड मे हाते हुए समझे ? डाइबर ने मोटर की लाल भण्डी का सिर नीच दबा दिया। टन टन' हुइ और टक्सी न लेमिंग्टन राड का रुख किया। लेमिंग्टन रोड का जव 28/टोबा टेवसिंह