पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/६१

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अच्छी तरह मालूम था कि इस प्रकार के सवधो के औचित्य स वह निश्चियन लडका के मुकाबले में कही अधिक जानकारी रखता है जिनस य छोकरिया फैशन के तौर पर रोमास लडाती है और बाद मे किसी बेवकूफ स शादी कर लती है। रणधीर ने बस यो ही दिल ही दिल म होजल से बदला लन को खातिर उस धाटन लडकी को इशारे से ऊपर बुला लिया था । होजल उसके पलट के नीचे रहती थी और प्रतिदिन सुबह वर्दी पहनकर अपन मटे हुए बालो पर खाकी रग की टोपी तिरछ कोण म जमाकर बाहर निकलती थी और ऐस वाकपन स चलती थी जसे फुटपाथ पर चलने वाले सभी लोग टाट की तरह उसके क्दमा म विछत चले जाएगे। रणधीर सोचता था कि आखिर क्यों वह इन निश्चियन छौकरिया की ओर इतना अधिक पापित है। इसम कोई सदेह नहीं कि वे अपन शरीर की प्रत्येक दिखलाई जा सक्न वाली वस्तु का प्रदशन भरती है । विसी भी प्रकार की झिभक अनुभव किए बिना अपने क्रिया-कलापो का वणन पर दती है। अपने बीत हुए पुरान रोमासो का हाल सुना दती है यह सब ठीक है लेकिन कोई भी स्त्री इन सब विरोपतानो की मालिक हो सकती है। रणधीर ने जब घाटन लडकी को इशारे से ऊपर बुलाया था तो उसे किसी भी तरह यह विश्वास नही कि वह उस प्रपन साथ सुला लेगा, लेकिन थोडी ही देर के बाद जब उसने उसके भीगे कपडे देखकर यह ख्याल किया था कि कही ऐसा न हो कि वेवारी को निमोनिया हो जाए, तो रणधीर ने उससे कहा था 'यह कपडे उतार दो सर्दी लग जाएगी।' वह रणधीर की इस बात का अभिप्राय समझ गइ थी, क्याकि उसकी पाखा म शम के लाल डोर तर गए थ लेकिन बाद में जब रणधीर ने उस अपनी धोती निकालकर दी तो उसने कुछ देर सोचकर अपना लहगा उतार दिया जिमपर का मल भोगने के कारण और अधिक उभर पाया था लहगा उतारकर उसने एक ओर रप दिया और जल्दी स धोनी अपनी जाघा पर डाल ली । फिर उसन अपनी तग, भिची भिची चोली उतारन की कोशिश की जिसके दोना किनारा को मिलाकर उसन एक 62/टोवा टेवसिंह