पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/६७

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शरीर से बिना किसी बाह्य प्रयल के अनायास ही निकाल रही थी । वह ब जो हिना के इन से कहीं हल्की फुल्की और रस मे डूबी हुई थी , जिसम सूघे जाने का प्रयत्न शामिल नहीं था । वह अपने आप ही नाक के रास्ते भीतर घुसकर अपनी सही मजिल पर पहुच जाती थी ।

रणधीर न अतिम प्रयास करते हुए उस लड़की के दूधिमाले शरीर पर हाथ फेरा लेकिन उसे कोई कपकपाहट महसूस न हुई उसकी नई नवेली पत्नी जो एक फ्स्टक्लास मजिस्टेट की लडकी थी जिसन वी०ए० तक शिक्षा प्राप्त की थी और जो अपन कालेज के सैकडो लडका के दिल की धडकन थी रणधीर की किसी भी चेतना को न छू मकी । वह हिना की गुगवू मै उस वू की तलाश करता रहा जो इही दिनो म जब कि खिडकी के बाहर पीपल के पत्ते वर्षा मे नहा रह थे उस घाटन लडकी के मैले बदन से आई थी ।

68 / टोबा टेवसिंह