पृष्ठ:टोबा टेकसिंह.djvu/९६

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ट्रेन चलनी शुरू हो जाती थी और लोगा का आवागमन भी शुरू हो जाता था। पछी खासी चहल पहन हो जाती थी, लेपिन अब ऐमा मालूम होता था कि सडर पर से न कोई प्रादमी गुजरा है और न गुजरेगा। मोजेल यागे आगे थी। फुटपाथ के पत्थरी पर उसकी खडाऊ पट- खट कर रही थी। यह नावाज उस निस्तब्ध वातावरण में एक बहुत बडा शोर थी। ग्रिलोचन दिल हो दिल मे माजेल को बुरा भला कह रहा था वि दो मिनट मे और कुछ नही ना अपनी बहूदा खडाऊ उतारपर कोई और चीज पहन सकती थी। उसने चाहा कि मोजेल से पह, खडाक उनार दो और नगे पाव चलो मगर उम विश्वास था कि वह कभी नही मारोगी, इसलिए चुप रहा। त्रिलोचन बहुत डरा हुआ था, कोई पत्ता भी खडपता तो उसका दिन धक स रह जाता, लेकिन मोजेल सिगरेट का धुग्रा उडाती विलकुल निड- रता स चली जा रही थी, मानो बडी वपित्री से चहलकदमी कर रही हो। चौक में पहुंचे तो पुलिस मन की आवाज गरजी, ऐ, विधर जा रहा त्रिलोचन डर गया । मोजेल आगे बढी और पुलिस मा के पास पहुंच गई और अपन वाला को एक हल्का मा झटका देकर कहा 'माह तुम, हमको पहचाना नही? तुमन मोजल 'फिर उसने एक गली की तरफ इशारा पिया, 'उधर उस बाजू हमारा वहन रहता है, उसकी तबीयत खराब है डाक्टर लेकर जा रहा है।' सिपाही उम पचानन की कोशिश कर रहा था कि उमने न जाने यहा मे मिगरट की डिचिया निकाली और एक सिगरट निकालकर उसको दिया 'लो, पियो । मिपाही न सिगरट ले लिया। मोजेल ने अपने मुहम सुलगा हुआ सिगरट निकाला और उमस क्हा हीयर इज लाइट । मिपाही ने सिंगरट का क्श लिया, में जेल नइ प्राख उसका और वाइ पास मिलोचन को भागे और सट खट करती उम गली की मार "चल दी, जिसमें मे गुजरखर उह मुहल्ले में जाना था। त्रिलोचन चुप था, लेकिन बह महसूम कर रहा था कि मोजेल क्पयू को प्रवना करखें एक विचित्र प्रकार की प्रसनता का अनुभव कर रही है। मौजेल/97