मोजेल भुमला गई। उसमें इस जोर से उफान पाया कि उसकी छातिया आपस में भिडभिडा गर्द। 'गधे रही } तुम्हारा प्रेम ही कहा रहेगा जब तुम न रहोगे। मुम्हागे वह क्या नाम है उम मडबी का जब वह न रहेगी, उसका परिवार तक न रहगा। तुम सिख हो खुदा की कमम तुम मिष हो और बडे इडियट हो।' शिलोचन भिना गया 'बकवास न करा' मोजेल जोर से हसी और उसने अपनी नरम रोयेंदार वाह उस गने मे डाल दी और थोडा सा भूलकर वाली, 'डालिंग, चलो जसी तुम्हारी मर्जी । पानी पगडी पहन पाम्रो मैं नीचे बाजार में खडी है।' यह कहकर वह नीचे जाने लगी । त्रिलोचन । उमे रोका 'तुम कपडे नही पहनी मोजेल ने अपने सिर को झटका दिया । 'नहीं चलेगा इसी तरह । यह कहकर वह खट-खट करती नीचे उतर गई। गिलोचन निचली मजिल की सीढियो पर भी उमको खातनो को आवाज सुनता रहा। फिर उसन अपने लम्र बाल उगतिया से पीछ की तरह समेटे और नीच उतरकर अपने फ्लैट में चला गया । जल्दी जल्ली उमन कपडे बरले । पगडी बधी- बधाई रखी थी, उसे अच्छी तरह सिर पर जमाया पार पलट के दरवाजे में कुजी धुमार नीचे उत्तर गया । बाहर फुटपाथ पर मोजेल अपनी तगडी टागे चौड़ी दिए मिगरट पी रही थी बिलकुल पुरुषों की तरह । जब त्रिलोचन उसके पास पहुंचा तो उसने शरारत से मुह भरकर धुमा उमके मह पर द मारा। त्रिलोचन ने गुस्स म कहा, 'तुम बहुत जतीन हो। भोजन मुभराई । यह तुमन कोई नई बात नहीं रही सस पहल मुझ और भी कई लोग जलील रह चुके है ।' फिर उमन त्रिलोचन की पगड़ी की ओर दया । 'यह पगडी तुमन सचमुच अच्छी तरह बाधी है। एमा मालूम होता है तुम्हार कश हैं।' बाजार विलकुल सुनमा था केवल ह्वा चल रही थी और यह भी बहुत धीर धीरे जैम वह भी पप से डरती हो । वत्तिया जा रही थी, लेकिन उनका प्रकाश बीमार-सा मालूम होता था। आम तौर पर इस समय 961 टोवा किसिंह
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