छातिया में एक व्होका दिया। 'ऐश कर साली, ऐश कर।' फिर उसने परात उटाई और यह जा, वह जा। मिलोचन बडबडाया 'हरामजाद ने कमी जलील हरकत की।' मोजेल ने अपनी छानिया पर हाथ फेरा । 'कोई जलील हरकत नहीं, सब चलता है । ग्रामो।' और वह तेज-तज चलने लगी। मिलोचन न भी दम तेज कर दिए। वह गली पार करने व दोना उस मुहल्ले म पहुच गए, जहा कृपाल कौर रहती थी। मोजल न पूग किम गली म जाता है ?' त्रिलोचन न धीर से कहा, तीसरी गली म, नुक्कड़ वाली विल्डिग।' मोजेन । उसी ओर र नना शुरु कर दिया। उस पोर बिलकुल निस्त- ब्धता थी। पासपास इतनी घनी आबादी थी लेकिन किसी बच्चे तक के रोन की आवाज सुनाई नहीं देती थी। जब वे उस गली वे पाम पहुचे तो कुछ गडबड दिखाई दी । एक प्रादमी वडी तेजी से इस पिनार वाली विल्डिग म घुस गया । इस विल्डिंग से थोड़ी देर के बाद तीन प्रादमी निकले । पुटपाथ पर उ हाने इधर उधर देना नीर वडी पुर्ती से दूसरी बिल्डिंग मे चल गए । मोजेल ठिठक गई। उसन निलोचा वो इशारा किया कि अधेरे म हो जाए फिर उमन धीमे स बहा त्रिलोचन डियर, यह पगडी उतार दो।' त्रिलोचन ने जवाब दिया 'मैं यह क्सिी सरत म भी नही उतार सकता। मोजेल झभला गई। 'तुम्हारी मर्जी लेकिन तुम देखते नहीं सामने क्या हो रहा है।" मामन जो कुछ हो रहा था, दोना की पासा के मामन था- -साफ गडबड हो रही थी और बडी रहस्यमय रग की। बायें हाथ की विल्डिग स जब दो आदमी अपनी पीठ पर बोरिया उठाए निकले तो मोजेल सारी की मारी बाप गई। उनम में कुछ गाढी गाढी तरल चीज ट रही थी। मोजेन अपन हाठ काटन लगी। शायद वह कुछ सोच रही भी। जब वे दोनो आदमी गली के दूसरे मिरे पर पहुचकर गायव हो गए तो उसने विलोचन से कहा, देखो ऐसा करो~मैं भागकर नुक्कड वाली विल्डिग म मोजेन/99
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