पृष्ठ:तसव्वुफ और सूफीमत.pdf/२४१

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२२४ तसव्वुफ अथवा सूफीमत उसका अध्ययन यूरोप ने किया और फिर आधुनिक दर्शन को जन्म दिया । मसीहियों ने इस प्रकार आगे चलकर जिस दर्शन का सत्कार किया वह बहुत कुछ तसव्वुफ से प्रभावित था। प्रभावित व्यक्तियों में संत थामस एकनिस का नाम विशेष उल्लेखनीय है । उसको मसीही संघ में वही प्रतिष्ठा प्राप्त है जो इसलामी दल में गजाली को। दो ही महानुभावो ने प्रचलित मत और भक्ति-भावना का संबंध निर्धारित किया और दोनों ही व्यक्तियों ने भक्ति-भाव को मजहब से श्रेष्ट माना ।.संत थामस ने भी धर्मपुस्तक को प्रमाण माना, पर उसके अर्थ और व्याख्यान का अधिकारी संघ को ही सिद्ध किया। मुसलिम विवेचको की मीमांसा से अरस्तू पर जो सूफी मुलम्मा चढ़ गया था, उसने उसका मार्जन किया और मुसलिम व्याख्याकारों की कड़ी अालोचना की। उसने आप्त वचन के साथ ही तक को भी प्रमाण माना और अध्यात्म का आदर किया। उसका कहना है कि मसीह के भक्त इस बात को सदा स्मरण रखें कि कोरा तर्क या विज्ञान नरक का पंथ स्वतः अंधकार या नीहार है। उसके प्रकाशन के लिये धर्मपुस्तक वा प्राप्तवचन श्रावश्यक है। संत थामस मुसलिम पंडितों का चाहे जितना खंडन करे उस पर तसन्युफ का प्रभाव स्पष्ट और पर्याप्त है । एक पंडित ने ठीक ही कहा है कि तरहवीं शती में प्राची और प्रतीची का जितना गहरा मानसिक संबंध था उससे अधिक आज तक न हो सका। कहना न होगा कि इस संबंध में सूफियों का पूरा योग था और उन्हीं के प्रयत्न से यह संयोग जुटा भी था। प्राची और प्रतीची के इस संयोग ने दांते को जन्म दिया । दांते के काव्यानंद में यूरोप मग्न हो गया। अरबी की भाँति दांते भी एक रमणी पर मुग्ध था । उसका दावा है कि मेरी प्रेयसी वेट्रिस का रूप ज्यों ज्यों निखरता जाता है त्यों त्यों मेरा प्रेम और भी प्रबल और परिमार्जित होता जाता है । यही, उसकी । वह (१) लेगसी श्राव इसलाम, पृ० २४८ । पृ०२८२। > " " " " पृ०२२७।